हर एक मनुष्य, जिसे परमेश्वर ने धन-सम्पत्ति दी है तथा उसको भोगने का सामर्थ्य भी दिया है, वह अपनी नियति को स्वीकार करे और आनन्दपूर्वक परिश्रम करे। यह परमेश्वर का वरदान है। परमेश्वर उसे उसके हृदय के उल्लास में ही डुबाए रखता है: इसलिए वह इस बात को बहुत याद नहीं कर पाएगा कि उसका जीवन थोड़े दिन का ही है।
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