यदि कुल्हाड़ी थोथी हो, और मनुष्य उसकी धार पैनी न करे, तो उसको प्रयुक्त करने में अधिक बल लगाना पड़ेगा। किन्तु बुद्धि सफलता की कुंजी है। यदि मन्त्र से पहले सर्प डस ले, तो मन्त्र फूंकनेवाले से क्या लाभ? बुद्धिमान मनुष्य के मुख के शब्द उसके लिए दूसरों की कृपा के साधन हैं। किन्तु मूर्ख मनुष्य के ओंठ उसके विनाश के कारण हैं। मूर्ख के मुख से निकले शब्द आदि से अन्त तक मूर्खता से पूर्ण होते हैं: उसकी बात का अन्त दुष्टतापूर्ण पागलपन होता है। मूर्ख मनुष्य एक बात की दो बातें बनाता है, यद्यपि कोई नहीं जानता है कि भविष्य में क्या होनेवाला है; उसे कौन बता सकता है कि उसकी मृत्यु के बाद क्या होगा। मूर्ख का परिश्रम उसे थकाता है, इतना कि उसे वापसी के लिए शहर का रास्ता भी नहीं सूझता है। ओ देश! धिक्कार है तुझे, यदि तेरा राजा अनुभव-हीन युवक है; और यदि तेरे सामन्त प्रात: से ही खाने-पीने में जुट जाते हैं। ओ देश, धन्य है तू, यदि तेरा राजा कुलीन वंशज है, और यदि तेरे सामन्त निर्धारित समय पर खाते-पीते हैं, बल प्राप्त करने के लिए, न कि मतवालेपन के लिए। आलस्य के कारण छत गिर जाती है, सुस्ती से घर चूने लगता है। भोज आमोद-प्रमोद के लिए किया जाता है, अंगूर-पान से जीवन आनन्दित होता है। रुपये से सब कुछ प्राप्त हो सकता है। अपने मन में भी राजा को अपशब्द न कहो, और न अपने शयन-कक्ष में धनवान को बुरे शब्द कहना। आकाश का पक्षी तेरे शब्द ले जाएगा, उड़नेवाला जीव-जन्तु खबर कर देगा।
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