जो बात हो चुकी है वह फिर होगी; जो बन चुकी है वह फिर बनेगी; इस सूर्य के नीचे कुछ भी नया नहीं है। क्या पृथ्वी पर ऐसा कुछ है, जिसके विषय में यह कहा जा सके, “देखो, यह नयी बात है?” पर वह हमसे बहुत पहले प्राचीनकाल में हो चुकी है। प्राचीनकाल की बातों की स्मृति वर्तमान काल में शेष नहीं रहती, और न हमारे पश्चात् आनेवाले लोगों को भविष्य की बातें याद रहेंगी।
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