मूसा ने समस्त इस्राएली समाज को बुलाया, और उनसे यह कहा, ‘ओ इस्राएल! जो संविधियाँ और न्याय-सिद्धान्त आज मैं तुम्हारे कान में डाल रहा हूँ, उनको सुनो। तुम उन्हें सीखना, और उनको व्यवहार में लाने के लिए सदा तत्पर रहना। हमारे प्रभु परमेश्वर ने होरेब पर्वत पर हमारे साथ एक विधान स्थापित किया था। प्रभु ने यह विधान हमारे पूर्वजों के साथ नहीं, वरन् हमारे साथ, हम सबके साथ जो यहाँ हैं और आज तक जीवित हैं, स्थापित किया। प्रभु ने पहाड़ पर तुमसे आमने-सामने अग्नि के मध्य से वार्तालाप किया था। उस समय मैं प्रभु का वचन तुम पर घोषित करने के लिए तुम्हारे और प्रभु के मध्य खड़ा था; क्योंकि तुम अग्नि के कारण डर गए थे, और पहाड़ पर नहीं चढ़े थे। तब प्रभु ने कहा था : ‘मैं प्रभु, तेरा परमेश्वर हूँ, जो तुझे मिस्र देश से, दासत्व के घर से बाहर निकाल लाया। तू मेरे अतिरिक्त किसी और को ईश्वर नहीं मानना। ‘तू अपने लिए कोई मूर्ति न बनाना और न किसी प्राणी अथवा वस्तु की आकृति बनाना, जो ऊपर आकाश में, अथवा नीचे धरती पर या धरती के नीचे जल में है। तू झुककर उनकी वन्दना न करना, और न उनकी सेवा करना; क्योंकि मैं, तुम्हारा प्रभु परमेश्वर, ईष्र्यालु ईश्वर हूँ। जो मुझसे घृणा करते हैं, उनके अधर्म का दण्ड मैं तीसरी और चौथी पीढ़ी तक उनकी संतान को देता रहता हूँ; परन्तु मुझसे प्रेम करनेवाले और मेरी आज्ञा का पालन करनेवाले व्यक्तियों पर मैं हजार पीढ़ियों तक करुणा करता हूँ। ‘तू अपने प्रभु परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना; क्योंकि जो व्यक्ति प्रभु का नाम व्यर्थ लेगा, उसे प्रभु निर्दोष घोषित नहीं करेगा।
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