व्‍यवस्‍था-विवरण 31:14-29

व्‍यवस्‍था-विवरण 31:14-29 HINCLBSI

प्रभु ने मूसा से कहा, ‘देख, तेरी मृत्‍यु का दिन निकट है। तू यहोशुअ को बुला। उसके पश्‍चात् तुम दोनों मिलन-शिविर में आना। मैं यहोशुअ को तेरे स्‍थान पर नियुक्‍त करूंगा।’ अत: मूसा और यहोशुअ गए। उन्‍होंने मिलन-शिविर में प्रवेश किया। तब प्रभु मेघ-स्‍तम्‍भ में मिलन-शिविर में प्रकट हुआ। मेघ-स्‍तम्‍भ तम्‍बू के द्वार पर खड़ा हो गया। प्रभु ने मूसा से कहा, ‘देख, तू शीघ्र अपने मृत पूर्वजों में जाकर सो जाएगा। पर ये इस्राएली लोग उस देश के, जहाँ ये जा रहे हैं, अजनबी देवताओं का अनुगमन करने लगेंगे और मेरे साथ वेश्‍या के सदृश विश्‍वासघात करेंगे। वे मुझे त्‍याग देंगे। वे मेरे विधान को, जो मैंने उनके साथ स्‍थापित किया है, तोड़ देंगे। तब उस दिन मेरा क्रोध उनके विरुद्ध भड़क उठेगा। मैं उनको त्‍याग दूंगा, और उनसे विमुख हो जाऊंगा। उन पर विपत्तियों और कष्‍टों का पहाड़ टूट पड़ेगा, जिसके कारण वे उस दिन यह कहेंगे, “क्‍या यह सच नहीं है कि ये विपत्तियां हम पर इसलिए आ पड़ी हैं, कि हमारा परमेश्‍वर हमारे मध्‍य नहीं है?” जो कुकर्म वे करेंगे, और दूसरे देवताओं की ओर उन्‍मुख होंगे, उनके कारण मैं उस दिन निश्‍चय ही उनसे विमुख होऊंगा। अत: अब तुम यह गीत लिखो, और समस्‍त इस्राएली समाज को सिखा दो, उनको कंठस्‍थ करा दो, जिससे यह गीत इस्राएली समाज के विरुद्ध मेरे पक्ष में साक्षी दे। जब मैं उन्‍हें दूध और शहद की नदियों वाले देश में पहुँचा दूंगा, जिसकी शपथ मैंने उनके पूर्वजों से खाई थी, और जब वे भरपेट खाकर तृप्‍त होंगे, उनकी देह पर चर्बी चढ़ जाएगी, तब वे दूसरे देवताओं की ओर उन्‍मुख हो जाएंगे और उनकी पूजा करेंगे। वे मेरा तिरस्‍कार करेंगे। वे मेरे विधान को भंग करेंगे। जब उन पर विपत्तियों और कष्‍टों का पहाड़ टूट पड़ेगा, तब यह गीत उनके विरुद्ध साक्षी देगा! (क्‍योंकि उनके वंशज भी इस गीत को कभी विस्‍मृत नहीं कर सकेंगे) इस देश में, जिसको प्रदान करने की शपथ मैंने खाई थी, उनके प्रवेश करने के पूर्व से मैं उनकी योजनाओं को, जो ये बना रहे हैं, जानता हूँ।’ अत: मूसा ने उसी दिन यह गीत लिखा और इस्राएली समाज को सिखा दिया। प्रभु ने यहोशुअ बेन-नून को नियुक्‍त किया, और उससे कहा, ‘साहसी और शक्‍तिशाली बन! तू ही इस्राएली समाज को उस देश में पहुँचाएगा, जिसकी शपथ मैंने उनसे खाई है। मैं तेरे साथ रहूँगा।’ जब मूसा इस व्‍यवस्‍था के वचनों को, आदि से अन्‍त तक पुस्‍तक में लिख चूके, तब उन्‍होंने प्रभु की विधान-मंजूषा वहन करनेवाले लेवियों को यह आदेश दिया, ‘व्‍यवस्‍था की यह पुस्‍तक लो, और उसको अपने प्रभु परमेश्‍वर की विधान-मंजूषा के पास रख दो। इसको वहीं रहने देना ताकि वह तुम्‍हारे विरुद्ध साक्षी दे। मैं जानता हूँ कि तुम विद्रोही और ऐंठी गरदन वाले लोग हो! देखो, यदि मेरे जीवित रहते, तुम्‍हारे साथ रहते हुए भी तुम आज प्रभु के विरुद्ध विद्रोह करते हो, तो मेरी मृत्‍यु के पश्‍चात् विद्रोह क्‍यों न करोगे? जाओ, अपने कुलों के सब धर्मवृद्धों और शास्‍त्रियों को मेरे पास एकत्र करो। मैं उनको ये वचन सुनाऊंगा और उनके विरुद्ध साक्षी देने के लिए आकाश और पृथ्‍वी को बुलाऊंगा। मैं जानता हूँ, तुम मेरी मृत्‍यु के पश्‍चात् निश्‍चय ही भ्रष्‍ट हो जाओगे। जिस मार्ग पर चलने का मैंने तुम्‍हें आदेश दिया है, उससे भटक जाओगे। आगामी दिनों में तुम पर बुराई का आक्रमण होगा। तुम वही कार्य करोगे, जो प्रभु की दृष्‍टि में बुरा है। इस प्रकार तुम अपने व्‍यवहार से उसको चिढ़ाओगे।’

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