मूसा ने सब इस्राएलियों से ये बातें भी कहीं। मूसा ने उनसे कहा, ‘आज मैं एक सौ बीस वर्ष का हूँ। अब मैं आने-जाने में असमर्थ हूँ। प्रभु ने मुझसे कहा है, “मूसा, तू इस यर्दन नदी को पार नहीं कर सकेगा।” तुम्हारा प्रभु परमेश्वर स्वयं तुम्हारे आगे-आगे उस पार जाएगा। वह तुम्हारे सामने से उस देश में बसने वाली जातियों को नष्ट कर देगा, जिससे तुम उनके स्थान पर अधिकार कर सको। प्रभु के कथनानुसार यहोशुअ तुम्हारे आगे-आगे उस पार जाएगा। जैसा व्यवहार प्रभु ने एमोरी जाति के राजाओं, सीहोन और ओग के साथ और उनके देश के साथ किया था, जैसे उसने उनको नष्ट कर दिया था, वैसा ही व्यवहार वह यर्दन नदी के उस पार की जातियों के साथ करेगा। प्रभु उनको तुम्हारे हाथ में सौंप देगा। तब तुम उन समस्त आज्ञाओं के अनुसार, जिनका आदेश मैंने तुम्हें दिया है, उनके साथ व्यवहार करना। साहसी और शक्तिशाली बनो! मत डरो! उनसे आतंकित मत हो! क्योंकि तुम्हारे साथ-साथ चलनेवाला तुम्हारा प्रभु परमेश्वर है। वह तुम्हें निस्सहाय नहीं छोड़ेगा। वह तुम्हें त्याग नहीं देगा।’
तब मूसा ने यहोशुअ को बुलाया, और सब इस्राएलियों के सामने उससे कहा, ‘साहसी और शक्तिशाली बन! क्योंकि तू इन लोगों के साथ उस देश में जाएगा जिसकी शपथ प्रभु ने इनके पूर्वजों से खाई थी कि वह इनको प्रदान करेगा। तू ही इन लोगों का अधिकार उस देश पर कराएगा। तेरे आगे-आगे चलनेवाला प्रभु है। वह तेरे साथ होगा। वह तुझे निस्सहाय नहीं छोड़ेगा। वह तुझे त्याग नहीं देगा। मत डर! निराश नहीं हो!’
मूसा ने इस व्यवस्था को लिख लिया और लेवीय पुरोहितों को, जो प्रभु की विधान-मंजूषा वहन करते थे, तथा इस्राएल के समस्त धर्मवृद्धों को दे दिया। मूसा ने उन्हें यह आदेश दिया, ‘प्रत्येक सातवें वर्ष के अन्त में, ऋण-मुक्ति-वर्ष के निर्धारित समय पर, मण्डप-पर्व के अवसर पर, सब इस्राएली अपने प्रभु परमेश्वर के सम्मुख उस स्थान पर उपस्थित होंगे, जिसको वह स्वयं चुनेगा। तब तुम समस्त इस्राएलियों के सम्मुख इस व्यवस्था को इस प्रकार पढ़ना कि सब उसको सुन सकें। तुम सब लोगों को, स्त्री-पुरुष, बच्चों, और अपने नगर में रहने वाले प्रवासियों को एकत्र करना जिससे वे व्यवस्था का पाठ सुन सकें, उसको सीख सकें और अपने प्रभु परमेश्वर की भक्ति करें तथा इस व्यवस्था के वचनों का पालन करने को तत्पर रहें। इस प्रकार जब तक तुम उस भूमि पर जीवित रहोगे, जिस पर अधिकार करने के लिए यर्दन नदी को पार कर वहाँ जा रहे हो, तब तक तुम्हारी भावी सन्तान जो व्यवस्था को अभी नहीं जानती है, वह भी व्यवस्था का पाठ सुन सकेगी, और अपने प्रभु परमेश्वर की भक्ति करना सीखेगी।’