व्‍यवस्‍था-विवरण 26:5-11

व्‍यवस्‍था-विवरण 26:5-11 HINCLBSI

‘तू अपने प्रभु परमेश्‍वर के सामने इस बात की घोषणा करना : “यहाँ-वहाँ भटकने वाला अरामी जाति का पुरुष मेरा पिता था। वह मिस्र देश जाकर वहाँ प्रवास करने लगा था। वह अल्‍पसंख्‍यक था। किन्‍तु वह वहां महान, बलवान और बहुसंख्‍यक राष्‍ट्र बन गया। अत: मिस्र निवासी हमारे साथ बुरा व्‍यवहार करने लगे। उन्‍होंने हमें दु:ख दिया, हमसे कठोर बेगार करवाई। तब हमने अपने पूर्वजों के प्रभु परमेश्‍वर की दुहाई दी। उसने हमारी पुकार सुनी, और हमारे कष्‍ट, हमारे कठोर परिश्रम और हम पर किए जाने वाले अत्‍याचार को देखा। प्रभु ने चिह्‍नों, आश्‍चर्यपूर्ण कर्मों, भुजबल, महा-आतंकमय कार्यों और उद्धार के हेतु बढ़ाए गए अपने हाथों से हमें मिस्र देश से बाहर निकाल लिया। उसने हमें इस स्‍थान पर पहुंचाया, और हमें यह देश प्रदान किया जहां दूध और शहद की नदियां बहती हैं। अब हे प्रभु देख! जो देश तूने मुझे प्रदान किया है, उसकी भूमि की उपज का प्रथम फल मैं तेरे पास लाया हूँ।” इतना कह कर तू अपने चढ़ावे को प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख रख देना, और अपने प्रभु परमेश्‍वर की वन्‍दना करना। उसके बाद अपनी समस्‍त अच्‍छी वस्‍तुओं के लिए जो तेरे प्रभु परमेश्‍वर ने तुझे दी हैं, अपने परिवार, लेवीय जन और तेरे मध्‍य रहने वाले प्रवासी के साथ तू आनन्‍द मनाना।