यदि तू अपने हृदय में यह प्रश्न पूछे, “जो वचन प्रभु ने नहीं कहा है, उसको हम किस प्रकार जानेंगे?” तो उसकी यह पहचान है : जब नबी प्रभु के नाम से बोलता है, और वचन के अनुसार कार्य नहीं होता, अर्थात् उसका वचन सत्य प्रमाणित नहीं होता है, तब उस वचन को प्रभु ने नहीं कहा था, वरन् नबी ने ढिठाई से उसको कहा था। तू उससे मत डरना।
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