‘तू सात सप्ताह गिनना। जिस दिन तू खड़ी फसल पर हंसिया चलाएगा, उस दिन से सात सप्ताह की गणना आरम्भ करना। जो आशिष तेरे प्रभु परमेश्वर ने तुझे दी है, उसके अनुपात के अनुसार अपने हाथ से स्वेच्छा-बलि चढ़ाना और अपने प्रभु परमेश्वर के लिए सप्त-सप्ताह का पर्व मनाना। तू अपने पुत्र-पुत्रियों, सेवक-सेविकाओं, तथा तेरे नगर में रहने वाले लेवीय जन, तेरे मध्य में रहने वाले प्रवासियों, पितृहीनों, और विधवाओं के साथ, अपने प्रभु परमेश्वर के सम्मुख उस स्थान में आनन्द मनाना, जिसको तेरा प्रभु परमेश्वर स्वयं चुनेगा और अपने नाम को वहां प्रतिष्ठित करेगा। स्मरण रखना कि तू भी मिस्र देश में गुलाम था। तू इन संविधियों का पालन करना, और इनके अनुसार कार्य करना। ‘जब तू अपने खलिहान तथा अंगूर के रस-कुण्ड में उपज एकत्र करेगा, तब सात दिन तक मण्डप-पर्व मनाना। तू अपने पुत्र-पुत्रियों, सेवक-सेविकाओं, तथा तेरे नगर में रहने वाले लेवीय जन, प्रवासियों, पितृहीनों और विधवाओं के साथ पर्व में आनन्द मनाना। तू अपने प्रभु परमेश्वर के लिए उस स्थान में सात दिन तक पर्व मनाना, जिसको तेरा प्रभु चुनेगा। तेरा प्रभु परमेश्वर तेरी समस्त उपज पर, तेरे सब कामों पर आशिष देगा, जिससे तू आनन्दमग्न हो जाएगा। ‘तेरे परिवार के सब पुरुष वर्ष में तीन बार अपने प्रभु परमेश्वर के सम्मुख उस स्थान में उपस्थित होंगे, जिसको वह स्वयं चुनेगा : बेखमीर रोटी के पर्व पर, सप्त-सप्ताह के पर्व पर, और मण्डप-पर्व पर। वे खाली हाथ प्रभु को अपना मुंह नहीं दिखाएंगे।
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