जो देश तेरा प्रभु परमेश्वर तुझे दे रहा है, यदि तेरे उस देश के किसी नगर में तेरे भाई-बन्धुओं में कोई गरीब है, तो तू अपने गरीब भाई-बहिन के प्रति अपना हृदय कठोर मत करना, और न अपनी मुट्ठी बन्द रखना; वरन् तू उसके लिए अपनी मुट्ठी खोल देना। जिस वस्तु का उसको अभाव हो, उसकी पूर्ति के लिए तू अवश्य उधार देना।
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