व्‍यवस्‍था-विवरण 1:34-46

व्‍यवस्‍था-विवरण 1:34-46 HINCLBSI

‘प्रभु ने तुम्‍हारी बातें सुनी थीं, और वह क्रुद्ध हुआ था। तब उसने शपथ खाई, “जो देश तुम्‍हारे पूर्वजों को प्रदान करने की शपथ मैंने खाई है, उस उत्तम देश को इस बुरी पीढ़ी का एक भी व्यक्‍ति नहीं देख सकेगा; केवल यपून्ने का पुत्र कालेब उसको देखेगा। जिस देश की भूमि पर उसने पैर रखे हैं, वह मैं उसे तथा उसके वंशजों को प्रदान करूँगा; क्‍योंकि उसने मुझ-प्रभु का पूर्णत: अनुसरण किया है।” प्रभु तुम्‍हारे कारण मुझ पर भी क्रुद्ध हुआ था। उसने कहा था, “तू भी वहाँ नहीं जा सकेगा; वरन् तेरा सेवक नून का पुत्र यहोशुअ वहां प्रवेश करेगा। तू उसको प्रोत्‍साहन देना; क्‍योंकि उसके द्वारा ही इस्राएली उस देश को अपने पैतृक अधिकार में करेंगे। इसके अतिरिक्‍त तुम्‍हारे छोटे-छोटे बच्‍चे, जिनके विषय में तुमने कहा था कि वे लूट लिये जाएंगे और तुम्‍हारे वे बालक, जो अभी भली-बुरी बातों को नहीं जानते, वे वहां प्रवेश करेंगे। मैं उन्‍हें ही उस देश को प्रदान करूंगा, और वे उस पर अधिकार करेंगे। पर तुम, लौटो और अकाबा की खाड़ी के मार्ग से निर्जन प्रदेश की ओर प्रस्‍थान करो।” ‘तब तुमने मुझे यह उत्तर दिया था, “हमने प्रभु के प्रति पाप किया है। हम पहाड़ी प्रदेश पर चढ़ेंगे, और युद्ध करेंगे; जैसी प्रभु ने हमें आज्ञा दी है।” अत: सब मनुष्‍यों ने अपने-अपने अस्‍त्र-शस्‍त्र बांध लिये। उन्‍होंने सोचा था कि पहाड़ी प्रदेश पर चढ़ना सरल कार्य है। परन्‍तु प्रभु ने मुझ से कहा, “तू उनसे यह कह : पहाड़ी प्रदेश पर मत चढ़ो, और न युद्ध ही करो; क्‍योंकि मैं तुम्‍हारे मध्‍य नहीं हूं। ऐसा न हो कि तुम अपने शत्रुओं से पराजित हो जाओ।” मैंने तुमसे कहा, परन्‍तु तुमने मेरी बात नहीं सुनी। तुमने प्रभु के वचन से विद्रोह किया। तुम ढीठ बन गए, और पहाड़ी प्रदेश पर चढ़ गए। तब उस पहाड़ी प्रदेश में निवास करने वाले एमोरी जाति के लोग तुम्‍हारा सामना करने के लिए निकल आए। उन्‍होंने मधुमक्‍खी के सदृश तुम्‍हारा पीछा किया, और सेईर देश के होर्मा नगर तक तुम्‍हें खदेड़ दिया। तुम लौटे थे। तुम प्रभु के सम्‍मुख रोए थे। परन्‍तु प्रभु ने तुम्‍हारी बात नहीं सुनी, और न तुम्‍हारी ओर ध्‍यान ही दिया। अत: तुम्‍हें कादेश मरूद्यान में अनेक दिन तक रहना पड़ा। वस्‍तुत: तुमने बहुत-बहुत दिन तक वहां निवास किया।