दानिएल 4:17-27

दानिएल 4:17-27 HINCLBSI

‘यह दण्‍ड प्रहरियों के आदेश के अनुसार दिया गया। यह निर्णय पवित्र दूतों के वचन के अनुरूप है। यह इसलिए दिया गया कि जीव-लोक के प्राणी जान लें कि सर्वोच्‍च परमेश्‍वर मनुष्‍यों के राज्‍य पर शासन करता है, और वह जिस को चाहता है, उसको यह राज्‍य देता है, और उस पर शासन करने के लिए छोटे-से-छोटे मनुष्‍य को भी नियुक्‍त करता है।’ “राजा नबूकदनेस्‍सर ने, मैंने यह स्‍वप्‍न देखा। अब, तुम, ओ बेलतशस्‍सर, इसका अर्थ बताओ; क्‍योंकि मेरे राज्‍य का कोई भी दरबारी विद्वान इसका अर्थ मुझे नहीं बता सका। पर तुम मेरे स्‍वप्‍न का अर्थ बता सकते हो; क्‍योंकि पवित्र परमेश्‍वर का आत्‍मा तुममें निवास करता है।” “यह सुनकर दानिएल, जो बेलतशस्‍सर कहलाते हैं, बहुत समय तक स्‍तब्‍ध खड़े रहे। उनके हृदय में अनेक विचार उठे, जिन्‍होंने उनको व्‍याकुल कर दिया। मैंने कहा, “ओ बेलतशस्‍सर, मेरे स्‍वप्‍न, अथवा उसके अर्थ से तुम व्‍याकुल मत हो।” बेलतशस्‍सर ने उत्तर दिया, “महाराज, मेरे स्‍वामी! काश, यह स्‍वप्‍न आपके बैरियों के लिए हो, इसका अर्थ आपके शत्रुओं पर पड़े! “महाराज, जो वृक्ष आपने देखा, और जो बढ़कर मजबूत हो गया, और जो इतना बढ़ा कि उसका शिखर आकाश को छूने लगा, और इतना ऊंचा हो गया कि आकाश के छोर से दिखाई देने लगा; जिसकी पत्तियां दिखने में सुन्‍दर थीं, और जो फलों से लदा था; जिसमें इतने फल लगे थे कि उनको खाकर सब प्राणी तृप्‍त हो सकते थे; जिसकी छांव में सब वन-पशु बसेरा कर रहे थे; और जिसकी शाखाओं पर आकाश के पक्षियों ने घोंसले बनाए थे, वह वृक्ष आप हैं, महाराज! आप ही बढ़कर शक्‍तिशाली हो गए हैं। आपकी महानता बढ़कर आकाश को छूने लगी है। आपका राज्‍य पृथ्‍वी के छोरों तक पहुंच गया है। “महाराज, जो पवित्र प्रहरी आपने देखा, जो स्‍वर्ग से नीचे उतरा और जिसने उच्‍च स्‍वर में यह कहा कि ‘इस वृक्ष को काट कर नष्‍ट कर दो, पर भूमि पर इसके तने को छोड़ दो, और इसकी जड़ मत उखाड़ो। किन्‍तु तने को लोहे और पीतल की जंजीरों से बांधो, और उसको मैदान में हरी घास के बीच छोड़ दो, ताकि वह आकाश की ओस से सींचा जाए, और वन-पशु की तरह वह भूमि की घास खाए। वह सात वर्ष तक इसी दशा में रहे’, महाराज, उसका यह अर्थ है: सर्वोच्‍च परमेश्‍वर का आदेश है; उसने महाराज के प्रति यह निर्णय किया है, और यह महाराज पर घटित होगा: आप मनुष्‍य-समाज के बीच से निकाल दिए जाएंगे, और आपको वन-पशुओं के साथ रहना पड़ेगा। आप बैल के समान घास चरेंगे, और आकाश की ओस में भीगा करेंगे। सात वर्ष तक आपकी यही दशा रहेगी। उसके बाद आपको अनुभव होगा कि सर्वोच्‍च परमेश्‍वर ही मनुष्‍यों के राज्‍य पर शासन करता है, और वह जिसको चाहता है, उसको यह राज्‍य दे देता है। “पवित्र प्रहरी ने यह आदेश दिया था कि तने को जड़ के साथ छोड़ दो। उसका यह अर्थ है : जिस समय आपको अनुभव हो जाएगा कि स्‍वर्ग में विराजमान परमेश्‍वर ही मानव-जाति पर राज्‍य करता है, उस समय ही आपका राज्‍य आपको प्राप्‍त हो जाएगा। महाराज, मैं आपसे निवेदन करता हूं, आप मेरा यह परामर्श स्‍वीकार कीजिए: सद् आचरण कर अपने पाप के बन्‍धनों को तोड़ दीजिए। आप पीड़ितों के प्रति दया कर अधर्म से मुक्‍त हो जाइए। तब संभव है कि आपकी शांति के ये दिन लम्‍बे हो जाएं।”