अब यदि तुम नरसिंगे, बांसुरी, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई और अन्य सब प्रकार के वाद्यों का स्वर सुनकर मेरे द्वारा स्थापित मूर्ति के सम्मुख गिरकर उसका सम्मान करने को तैयार हो, तो ठीक है; तुम्हारा अनिष्ट न होगा। पर यदि तुम मूर्ति के प्रति सम्मान प्रकट नहीं करोगे, तो तुम अविलम्ब धधकती हुई अग्नि की भट्ठी में फेंक दिए जाओगे। तब मैं देखूंगा कि कौन-सा ईश्वर तुम्हें मेरे हाथ से बचाएगा?’
शद्रक, मेशक और अबेदनगो ने राजा को उत्तर दिया, “महाराज, इस सम्बन्ध में हम उत्तर देना आवश्यक नहीं समझते। यदि हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जाएगा, तो हम जिस परमेश्वर की सेवा-आराधना करते हैं, वह हमें धधकती हुइ अग्नि की भट्ठी में से भी छुड़ा लेगा। महाराज, वह हमें आपके हाथ से भी छुड़ा सकता है। महाराज, यदि आप हमें धधकती हुई अग्नि की भट्ठी में नहीं डालेंगे, तो भी हम आपके देवताओं की सेवा-आराधना नहीं करेंगे, और न आपके द्वारा स्थापित स्वर्ण-मूर्ति के सम्मुख झुककर उसके प्रति सम्मान प्रकट करेंगे।’
नबूकदनेस्सर क्रोध से भर गया। उसके चेहरे का रंग बदल गया। उसका क्रोध शद्रक, मेशक और अबेदनगो के प्रति भड़क उठा। उसने आदेश दिया कि भट्ठी की अग्नि सात गुना अधिक तेज की जाए। तत्पश्चात् उसने अपनी सेना के कुछ बलिष्ठ योद्धाओं को आदेश दिया कि वे शद्रक, मेशक और अबेदनगो को बाँधकर धधकती हुई अग्नि की भट्ठी में फेंक दें।
बलिष्ठ योद्धाओं ने ऐसा ही किया। उन्होंने इन तीनों व्यक्तियों को उनके पायजामों, अंगरखों, पगड़ियों तथा अन्य वस्त्रों सहित बाँध दिया और उनको धधकती हुई अग्नि की भट्ठी में फेंक दिया।
राजा नबूकदनेस्सर की कठोर आज्ञा के कारण भट्ठी की आंच और तेज कर दी गई। भट्ठी अत्यन्त धधक रही थी। उसमें से लपटें निकल रही थीं। अत: जिन लोगों ने शद्रक, मेशक और अबेदनगो को भट्ठी में फेंकने के लिए उठाया, उनको भट्ठी की लपटों ने भस्म कर दिया, और ये तीनों व्यक्ति−शद्रक, मेशक और अबेदनगो बन्धे-बंधाए उस धधकती हुई अग्नि की भट्ठी में गिर पड़े।
राजा नबूकदनेस्सर को आश्चर्य हुआ। वह शीघ्र उठा। उसने अपने मंत्रियों से पूछा, ‘क्या हमने तीन ही व्यक्तियों को भट्ठी में डाला था?’ उन्होंने राजा को उत्तर दिया, “हां, महाराज।’ राजा ने कहा, ‘किन्तु मैं चार व्यक्तियों को आग के ऊपर चलते-फिरते देख रहा हूं। वे बन्धन-मुक्त हैं। उनका शरीर तनिक भी झुलसा नहीं है। चौथे व्यक्ति का रूप ईश-पुत्र के सदृश है।’
नबूकदनेस्सर धधकती हुई अग्नि की भट्ठी के द्वार के पास आया। उसने पुकारा, ‘ओ सर्वोच्च परमेश्वर के सेवको−शद्रक, मेशक और अबेदनगो, बाहर निकलो, यहां आओ!’
अत: शद्रक, मेशक और अबेदनगो आग से बाहर निकल आए। क्षत्रप, हाकिम, राज्यपाल और राज-मंत्री एकत्र हो गए। उन्होंने देखा कि उन तीनों व्यक्तियों के शरीर पर आग का कुछ भी प्रभाव नहीं पड़ा था। उनके सिर का एक बाल भी नहीं झुलसा था, उनके पायजामे ज्यों के त्यों थे। उनके शरीर से जलने की गंध तक नहीं आ रही थी।
नबूकदनेस्सर ने कहा, ‘धन्य है शद्रक, मेशक और अबेदनगो का परमेश्वर, जिसने दूत भेजकर अपने विश्वस्त सेवकों को बचाया, जिन्होंने मेरी राजाज्ञा की उपेक्षा की, और अपना शरीर आग को अर्पण कर दिया कि वे किसी अन्य देवता की आराधना न कर केवल अपने ही परमेश्वर की आराधना करें।