महाराज, आपने जिन यहूदियों को बेबीलोन देश के राजकीय कार्यों की व्यवस्था करने के लिए नियुक्त किया है, वे आपके आदेशों का पालन नहीं करते हैं। उनके नाम हैं : शद्रक, मेशक और अबेदनगो। वे आपकी उपेक्षा करते हैं। महाराज, वे न तो आपके देवताओं की सेवा-आराधना करते हैं, और न आपके द्वारा स्थापित स्वर्ण-मूर्ति के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं।’
यह सुनते ही नबूकदनेस्सर का क्रोध भड़क उठा। उसने रोष में आकर आदेश दिया कि शद्रक, मेशक और अबेदनगो को पेश किया जाए। सैनिकों ने तीनों व्यक्तियों को राजा के सम्मुख प्रस्तुत किया। नबूकदनेस्सर ने उनसे पूछा, ‘शद्रक, मेशक और अबेदनगो, क्या यह सच है कि तुम न तो मेरे देवताओं की सेवा-आराधना करते हो, और न मेरे द्वारा स्थापित स्वर्ण-मूर्ति के प्रति सम्मान प्रकट करते हो? अब यदि तुम नरसिंगे, बांसुरी, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई और अन्य सब प्रकार के वाद्यों का स्वर सुनकर मेरे द्वारा स्थापित मूर्ति के सम्मुख गिरकर उसका सम्मान करने को तैयार हो, तो ठीक है; तुम्हारा अनिष्ट न होगा। पर यदि तुम मूर्ति के प्रति सम्मान प्रकट नहीं करोगे, तो तुम अविलम्ब धधकती हुई अग्नि की भट्ठी में फेंक दिए जाओगे। तब मैं देखूंगा कि कौन-सा ईश्वर तुम्हें मेरे हाथ से बचाएगा?’
शद्रक, मेशक और अबेदनगो ने राजा को उत्तर दिया, “महाराज, इस सम्बन्ध में हम उत्तर देना आवश्यक नहीं समझते। यदि हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जाएगा, तो हम जिस परमेश्वर की सेवा-आराधना करते हैं, वह हमें धधकती हुइ अग्नि की भट्ठी में से भी छुड़ा लेगा। महाराज, वह हमें आपके हाथ से भी छुड़ा सकता है। महाराज, यदि आप हमें धधकती हुई अग्नि की भट्ठी में नहीं डालेंगे, तो भी हम आपके देवताओं की सेवा-आराधना नहीं करेंगे, और न आपके द्वारा स्थापित स्वर्ण-मूर्ति के सम्मुख झुककर उसके प्रति सम्मान प्रकट करेंगे।’