“उसके स्थान पर एक तुच्छ व्यक्ति गद्दी पर बैठेगा जो राज्य-प्रतिष्ठा के योग्य नहीं होगा। वह चापलूसी के माध्यम से राज्य प्राप्त करेगा। जब जनता असावधान होगी तब वह बिना चेतावनी दिए गद्दी पर बैठ जाएगा। सेनाएँ उसके सामने पूर्णत: नष्ट और छिन्न-भिन्न हो जाएँगी, हमारा “विधान का प्रमुख व्यक्ति’ भी उसकी बाढ़ में बह जाएगा। जो राज्य उसके साथ सन्धि करेगा, वह उस राज्य से भी कपटपूर्ण व्यवहार करेगा। वह कुछ लोगों के बल पर शक्तिशाली बन जाएगा। वह बिना चेतावनी दिए प्रदेश के समृद्ध भागों पर हमला करेगा। वह ऐसे-ऐसे दुष्कर्म करेगा जो कई पीढ़ियों तक उसके पूर्वजों ने कभी नहीं किए थे। वह लूट का माल और धन-सम्पत्ति अपने लोगों में बांट देगा। वह कुछ समय तक सुदृढ़ गढ़ों के विरुद्ध षड्यन्त्र रचेगा। उसके बाद वह अपनी ताकत और अपने साहस के कारण इतना उत्तेजित होगा कि वह एक विशाल सेना को लेकर दक्षिण देश पर हमला कर देगा। दक्षिण देश का राजा भी महाविशाल सेना के साथ युद्ध में उसका सामना करेगा, किन्तु वह उसके सम्मुख टिक न पाएगा; क्योंकि स्वयं उसके देश में उसके विरुद्ध षड्यन्त्र रचे जाएँगे। यहाँ तक कि वे लोग जो उसके साथ एक ही थाली में खाते हैं, उसके पतन में हाथ बटाएंगे। उसकी सेना नष्ट हो जाएगी। अनेक सैनिक मौत के घाट उतार दिए जाएंगे। तब दोनों राजाओं के मन कुकर्म करने पर उतारू हो जाएंगे। वे एक ही मेज पर बैठकर भी एक दूसरे से झूठ बोलेंगे। परन्तु उससे कुछ लाभ न होगा; क्योंकि निश्चित किए गए युगान्त की अवधि अब तक समाप्त नहीं हो पायी है। “तब उत्तर देश का राजा दक्षिण देश की विशाल लूट लिये हुए अपने देश लौटेगा। किन्तु उसका हृदय पवित्र विधान के विरुद्ध होगा। वह अपनी इच्छा के अनुसार महिमा-मंडित पवित्र नगर में कार्य करेगा और फिर अपने देश लौटेगा। “निश्चित समय पर वह पुन: दक्षिण देश पर आक्रमण करेगा, किन्तु इस बार की स्थिति पहले की स्थिति से भिन्न होगी। समुद्रतट के निवासी कित्तियों के जहाजी बेड़े उसके विरुद्ध दक्षिण देश में आएंगे और वह डर कर वापस लौटेगा। वह लौटते समय अपना क्रोध महिमामंडित पवित्र नगर पर उतारेगा और पवित्र विधान के विरुद्ध अपनी इच्छा पूरी करेगा। लौटने के बाद वह वह उन लोगों को ढूंढ़ेगा जिन्होंने पवित्र विधान को त्याग दिया है। उसके द्वारा भेजे गए सैन्यदल पवित्र-स्थान और गढ़ को अशुद्ध कर देंगे। वे निरन्तर अग्नि-बलि को बन्द कर देंगे। वे उस घृणित वस्तु को प्रतिष्ठित करेंगे जो विध्वंस का कारण होगी। जो व्यक्ति विधान को तोड़ेगा, उसको वह मीठी-मीठी बातों से बहका देगा। किन्तु जिन लोगों को परमेश्वर का ज्ञान होगा वे अपने विश्वास में अटल रहेंगे और उचित कार्य करेंगे। जो लोग समझदार हैं, वे जनता के अनेक लोगों को समझाएंगे। किन्तु अपने इस कार्य के लिए उन्हें शहीद होना पड़ेगा: वे तलवार से मौत के घाट उतारे जाएंगे; वे जलती हुई आग में फेंके जाएंगे; वे बन्दीगृह में डाले जाएंगे और उनकी धन-सम्पत्ति लूट ली जाएगी। यह कष्ट केवल कुछ दिनों के लिए होगा। जब उन पर कष्ट आएगा, तब उन्हें कुछ सहायता प्राप्त होगी; किन्तु अनेक लोग उनकी चापलूसी करके उनसे मिल जाएंगे। कुछ समझदार लोग भी विधान से गिर जाएंगे। वे इसलिए गिरेंगे कि वे अपने विश्वास के लिए जांचे और परखे जाएं, वे अपने विश्वास में शुद्ध और उज्ज्वल किए जाएं। यह स्थिति युगान्त तक बनी रहेगी; क्योंकि इन सब बातों का अन्त ठहराए हुए समय पर होगा। “और वह राजा अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करेगा। वह स्वयं को सब देवताओं से ऊपर प्रतिष्ठित करेगा और अपने आपको उनसे बड़ा बताएगा। वह ईश्वरों के ईश्वर, परमेश्वर के विरुद्ध भी अनोखी बातें बोलेगा। वह तब तक सफल होता रहेगा जब तक कि उसके पाप का घड़ा भर न जाए; क्योंकि जो निश्चित है, वह तो होगा ही। वह अपने पूर्वजों के देवताओं की परवाह भी नहीं करेगा और न स्त्रियों के प्रिय इष्ट देव की भी। वस्तुत: वह किसी भी देवता की परवाह नहीं करेगा, क्योंकि वह सब देवताओं से ऊपर स्वयं को प्रतिष्ठित करेगा।
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