दानिएल 10:10-19

दानिएल 10:10-19 HINCLBSI

पर किसी के हाथ ने मुझे स्‍पर्श किया, और मुझे हाथों और घुटनों के बल बैठाया। मेरे हाथ और घुटने कांप रहे थे। “उसने मुझसे कहा, “ओ दानिएल, परमेश्‍वर के परमप्रिय पुरुष! जो शब्‍द मैं तुझसे कहने जा रहा हूं, उनको ध्‍यान से सुन, और सीधा खड़ा हो; क्‍योंकि मैं तुझको सन्‍देश सुनाने के लिए तेरे पास भेजा गया हूं।” वह मुझसे ये शब्‍द कह ही रहा था कि मैं कांपता हुआ खड़ा हो गया। “उसने मुझसे कहा, “दानिएल, मत डर, क्‍योंकि तूने दर्शन का अर्थ समझने का दृढ़ निश्‍चय किया, और उपवास के द्वारा आत्‍मशुद्धि कर स्‍वयं को परमेश्‍वर के सम्‍मुख विनम्र बनाया है। उस दिन ही तेरी प्रार्थना के शब्‍द परमेश्‍वर ने सुन लिये। मैं तेरी प्रार्थना के कारण ही यहाँ आया हूं। “फारस देश का स्‍वर्गदूत मुझे इक्‍कीस दिन तक संघर्ष में उलझाए रहा, और मैं आ न सका। तब मीखाएल, जो एक मुख्‍य स्‍वर्गदूत है, मेरी सहायता के लिए आया। मैं उसको फारस देश के स्‍वर्गदूत के साथ संघर्ष में छोड़कर आया हूं ताकि तुझे वे बातें समझाऊं जो युगान्‍त में तेरी कौम के लोगों के साथ घटेंगी। जो दर्शन तूने देखा है वह आगामी कुछ दिनों के बाद पूरा होगा।” “जब वह मुझसे ये बातें कह चुका, तब मैंने भूमि की ओर सिर झुका लिया और चुप हो गया। मेरी जीभ तालू से चिपक गई। तब उसने, जो मनुष्‍य के समान दिखाई दे रहा था, मेरे ओंठों को स्‍पर्श किया। तब मैंने अपने ओंठ खोले और यह कहा, “हे मेरे स्‍वामी, इस दर्शन के कारण मैं दु:खित हूं। मुझमें शक्‍ति शेष नहीं रह गई है। मेरे स्‍वामी का यह सेवक अपने स्‍वामी से बातें करने का साहस कैसे जुटा सकता है? स्‍वामी, मेरे शरीर में न तो शक्‍ति है और न प्राण ही।” “उसने, जो मनुष्‍य के समान दिखाई दे रहा था, मुझे स्‍पर्श किया, और मुझे बल प्रदान किया। उसने मुझसे कहा, “ओ परमेश्‍वर के परमप्रिय पुरुष! मत डर, तुझे शान्‍ति मिले, तू शक्‍तिशाली और साहसी बन।” जब उसने मुझसे ये बातें कहीं तब मुझे शक्‍ति प्राप्‍त हुई। मैंने कहा, “स्‍वामी, अब आप बोलिए, क्‍योंकि आपने मुझे शक्‍ति प्रदान की है।”