किन्तु दानिएल ने अपने हृदय में यह निश्चय किया कि वह राजा का न तो भोजन खाएगा और न शराब पीएगा जो राजा पीता है; और यों अपने को अशुद्ध नहीं करेगा। इसलिए उसने मुख्य खोजा अशपनज से निवेदन किया, “आप मुझे महाराज के आदेश से मुक्त रखें जिससे मैं अशुद्ध न होऊं।” परमेश्वर ने मुख्य खोजा अशपनज के हृदय में दानिएल के प्रति कृपा और दया उत्पन्न की। पर मुख्य खोजा ने दानिएल से कहा, “मुझे इस बात का भय है कि यदि तुम मेरे महाराज द्वारा निश्चित किया हुआ खान-पान नहीं लोगे तो तुम्हारा स्वास्थ्य तुम्हारे जवान साथियों की अपेक्षा गिर जाएगा। जब मेरे स्वामी तुम्हारा मुख उतरा हुआ देखेंगे, तब तुम मेरे सिर को खतरे में डाल दोगे। महाराज मेरा सिर धड़ से अलग कर देंगे।’ मुख्य खोजा अशपनज ने दानिएल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह की भोजन-व्यवस्था करने के लिए एक भंडारी को नियुक्त किया था। दानिएल ने भंडारी से कहा, ‘आप अपने इन सेवकों को दस दिन तक भोजन में साग-सब्जी और पीने के लिए पानी दीजिए। तब आप हमारे चेहरे महाराज के द्वारा निश्चित किए गए राजकीय भोजन करनेवाले युवकों के चेहरों से मिलाइए और तब आप जैसा देखें और ठीक समझें वैसा ही व्यवहार अपने इन सेवकों के साथ कीजिए।’
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