राजा नबूकदनेस्सर ने अपने मुख्य खोजा अशपनज को आदेश दिया, ‘जाओ और इस्राएली कौम के उन बंदियों को लाओ जो राजपरिवार तथा कुलीन वंश के हैं। वे जवान होने चाहिए तथा उनमें किसी प्रकार का शारीरिक दोष न हो। वे देखने में सुन्दर हों और सब प्रकार से बुद्धिमान हों। वे ज्ञान से परिपूर्ण और विद्वान हों। वे राजभवन में सेवा करने के योग्य हों। जब वे बेबीलोन में आ जायें तब उन्हें कसदी कौम का साहित्य और भाषा सिखाना।’ मुख्य खोजा अशपनज ने राजा नबूकदनेस्सर के आदेश का पालन किया। राजा ने आदेश दिया कि इस्राएली कौम के उन जवानों को वही राजकीय भोजन दिया जाए जो वह स्वयं खाता है; वही शराब उनको पिलाई जाए जो वह स्वयं पीता है। इसके अतिरिक्त उन्हें तीन वर्ष तक प्रशििक्षत किया जाए। इस अवधि के बाद वे राजा नबूकदनेस्सर की सेवा में उपस्थित हों। इन इस्राएली जवानों में से यहूदा कुल के ये चार जवान थे : दानिएल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह। मुख्य खोजा अशपनज ने उन्हें नए नाम दिए। उसने दानिएल का नाम बेलतशस्सर, हनन्याह का शद्रक, मीशाएल का मेशक और अजर्याह का अबेदनगो रखा। किन्तु दानिएल ने अपने हृदय में यह निश्चय किया कि वह राजा का न तो भोजन खाएगा और न शराब पीएगा जो राजा पीता है; और यों अपने को अशुद्ध नहीं करेगा। इसलिए उसने मुख्य खोजा अशपनज से निवेदन किया, “आप मुझे महाराज के आदेश से मुक्त रखें जिससे मैं अशुद्ध न होऊं।” परमेश्वर ने मुख्य खोजा अशपनज के हृदय में दानिएल के प्रति कृपा और दया उत्पन्न की। पर मुख्य खोजा ने दानिएल से कहा, “मुझे इस बात का भय है कि यदि तुम मेरे महाराज द्वारा निश्चित किया हुआ खान-पान नहीं लोगे तो तुम्हारा स्वास्थ्य तुम्हारे जवान साथियों की अपेक्षा गिर जाएगा। जब मेरे स्वामी तुम्हारा मुख उतरा हुआ देखेंगे, तब तुम मेरे सिर को खतरे में डाल दोगे। महाराज मेरा सिर धड़ से अलग कर देंगे।’ मुख्य खोजा अशपनज ने दानिएल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह की भोजन-व्यवस्था करने के लिए एक भंडारी को नियुक्त किया था। दानिएल ने भंडारी से कहा, ‘आप अपने इन सेवकों को दस दिन तक भोजन में साग-सब्जी और पीने के लिए पानी दीजिए। तब आप हमारे चेहरे महाराज के द्वारा निश्चित किए गए राजकीय भोजन करनेवाले युवकों के चेहरों से मिलाइए और तब आप जैसा देखें और ठीक समझें वैसा ही व्यवहार अपने इन सेवकों के साथ कीजिए।’ भंडारी ने इस सम्बन्ध में दानिएल और उसके साथियों की बात मान ली और दस दिन तक उनको जांचा-परखा। दस दिन के बाद भंडारी ने देखा कि दानिएल और उसके साथियों के चेहरे राजकीय भोजन करनेवाले सब युवकों के चेहरों से अधिक खिले हुए हैं, और उनका वजन भी बढ़ गया है। अत: भोजन की व्यवस्था करनेवाले भंडारी ने राजा के द्वारा निश्चित किए गए खान-पान को देना बन्द कर दिया और उनके स्थान पर वह उनको साग-सब्जी देने लगा। परमेश्वर ने इन चार इस्राएली जवानों को सब प्रकार के शास्त्रों और सब प्रकार की विद्याओं को समझने के लिए बुद्धि और प्रवीणता प्रदान की। दानिएल प्रत्येक प्रकार के दिव्य-दर्शन और स्वप्न का अर्थ समझने लगा। उसमें यह समझ आ गई। राजा नबूकदनेस्सर ने यह आदेश दिया था कि इस्राएली कौम के सब जवान तीन वर्ष बाद उसके सम्मुख राजमहल में प्रस्तुत किए जाएं। जब यह समय पूरा हुआ तब मुख्य खोजा अशपनज उनको राजमहल में ले गया। उसने उनको राजा के सम्मुख पेश किया। राजा नबूकदनेस्सर ने उन जवानों से बात-चीत की और उसे यह अनुभव हुआ कि दानिएल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह उन सब जवानों में सर्वश्रेष्ठ हैं। अत: उसने उन्हें अपनी सेवा में नियुक्त कर दिया। वे चारों राजा की सेवा में उपस्थित होने लगे। जब कभी राजा बुद्धि और समझ के विषय में उनसे कोई प्रश्न पूछता, तब उनका उत्तर सुनकर राजा को यह अनुभव होता कि वे उसके राज्य भर के सब ज्योतिषियों और तांत्रिकों से दस गुना अधिक प्रवीण हैं।
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