कुलुस्सियों 3:5-11

कुलुस्सियों 3:5-11 HINCLBSI

इसलिए आप लोग अपने शरीर में इन बातों को निर्जीव करें जो संसार की हैं, अर्थात् व्‍यभिचार, अशुद्धता, कामुकता, विषयवासना और लोभ को जो मूर्तिपूजा के सदृश है। इन बातों के कारण अवज्ञा की संतान पर परमेश्‍वर का कोप आ पड़ता है। आप भी पहले यह सब कर चुके हैं, जब आप इस प्रकार का पापमय जीवन बिताते थे। अब तो आप लोगों को क्रोध, उत्तेजना, द्वेष, परनिन्‍दा और अश्‍लील बातचीत सर्वथा छोड़ देनी चाहिए। कभी एक दूसरे से झूठ नहीं बोलें। आप लोगों ने अपना पुराना स्‍वभाव और उसके कर्मों को उतार कर एक नया स्‍वभाव धारण किया है। यह स्‍वभाव अपने सृष्‍टिकर्ता का प्रतिरूप बन कर नवीन होता रहता और पूर्ण ज्ञान की ओर आगे बढ़ता है। इस नवीनता में कोई भेद नहीं रहता, इसमें न यूनानी है, न यहूदी; न खतना है, न खतने का अभाव; न बर्बर है, न स्‍कूती, न दास और न स्‍वतन्‍त्र। केवल मसीह हैं, जो सब कुछ और सब में हैं।

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