प्रेरितों 8:30-39

प्रेरितों 8:30-39 HINCLBSI

फ़िलिप दौड़ कर ख़ोजे के पास पहुंचा और उसे नबी यशायाह का ग्रन्‍थ पढ़ते सुन कर पूछा, “आप जो पढ़ रहे हैं, क्‍या उसे समझते हैं?” उसने उत्तर दिया, “जब तक कोई मेरा मार्गदर्शन न करे, तब तक मैं कैसे समझ सकता हूँ?” उसने फिलिप से निवेदन किया कि वह रथ पर चढ़ कर उसके साथ बैठ जाये। वह धर्मग्रन्‍थ का यह प्रसंग पढ़ रहा था : ‘जैसे भेड़ को वध के लिए ले जाया जाता है, और मेमना ऊन कतरने वाले के सामने नि:शब्‍द रहता है, वैसे ही उसने अपना मुँह नहीं खोला। उसकी दशा दयनीय थी, उसके साथ न्‍याय नहीं किया गया। उसकी वंशावली की चर्चा कौन कर सकेगा? क्‍योंकि उसका जीवन पृथ्‍वी पर समाप्‍त किया जा रहा है।’ ख़ोजे ने फ़िलिप से पूछा, “आप कृपया मुझे बताइए, नबी किसके विषय में यह कह रहे हैं? अपने विषय में या किसी दूसरे के विषय में?” तब फ़िलिप ने कहना आरंभ किया और धर्मग्रन्‍थ के इस प्रसंग को आधार बना कर उसे येशु का शुभ समाचार सुनाया। यात्रा करते-करते वे मार्ग में एक जलाशय के पास पहुँचे। ख़ोजे ने कहा, “यहाँ पानी है। अब मेरे बपतिस्‍मा में क्‍या बाधा है?” [ फिलिप ने उत्तर दिया, “यदि आप सम्‍पूर्ण हृदय से विश्‍वास करते हैं, तो कोई बाधा नहीं।” इस पर उसने कहा, “मैं विश्‍वास करता हूँ कि येशु मसीह परमेश्‍वर के पुत्र हैं।”] उसने रथ रोकने का आदेश दिया। तब फ़िलिप और ख़ोजा, दोनों जल में उतरे और फ़िलिप ने उसे बपतिस्‍मा दिया। जब वे जल से बाहर आये, तो परमेश्‍वर का आत्‍मा फ़िलिप को उठा ले गया। ख़ोजे ने उसे फिर नहीं देखा। वह आनन्‍द के साथ अपने मार्ग पर चला गया।

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