शाऊल इस हत्या का समर्थन करता था। उसी दिन यरूशलेम में कलीसिया पर घोर अत्याचार प्रारम्भ हुआ। प्रेरितों को छोड़ सब-के-सब विश्वासीजन यहूदा तथा सामरी प्रदेशों में बिखर गये। श्रद्धालु लोगों ने स्तीफनुस को कबर में रखा और उसके लिए बहुत विलाप किया। शाऊल उस समय कलीसिया को सता रहा था। वह घर-घर में घुस जाता और स्त्री-पुरुषों को वहाँ से घसीट कर बन्दीगृह में डाल दिया करता था। जो लोग बिखर गये थे, वे घूम-घूम कर शुभ समाचार का प्रचार करते रहे। फिलिप सामरी प्रदेश के एक नगर में गया और वहां के लोगों को मसीह का संदेश सुनाने लगा। जब लोगों ने स्वयं फिलिप की बातें सुनीं और उसके द्वारा किये गये आश्चर्य चिह्न देखे, तब वे एक चित हो उसके कथनों पर ध्यान देने लगे। अशुद्ध आत्माएं ऊंचे स्वर से चिल्लाती हुई बहुतों में से निकलीं, जो उनसे ग्रस्त थे और लकवे के अनेक रोगी तथा लंगड़े स्वस्थ हो गये। इस प्रकार उस नगर में आनन्द ही आनन्द छा गया। शिमोन नामक व्यक्ति उस नगर में रहता था। वह कुछ समय से जादू के खेल दिखा कर सामरियों को चकित करता और महान् होने का दावा करता था। छोटों से लेकर बड़ों तक, सभी लोग उसकी बात मानते थे और कहते थे, “यह मनुष्य ईश्वर की वह शक्ति है, जो ‘महाशक्ति’ कहलाती है।” उसने बहुत दिनों से अपनी जादूगरी द्वारा लोगों को चकित कर रखा था, इसलिए वे उसकी बात मानते थे; किन्तु जब वे फ़िलिप की बातों पर विश्वास करने लगे, जो परमेश्वर के राज्य तथा येशु मसीह के नाम के शुभसमाचार का प्रचार करता था, तो स्त्री-पुरुष सब ने बपतिस्मा ग्रहण कर लिया। स्वयं शिमोन ने भी विश्वास किया। बपतिस्मा ग्रहण करने के बाद वह फ़िलिप के साथ निरंतर रहने लगा। यह चिह्न तथा महान् सामर्थ्य के कार्य होते देख कर बड़े अचम्भे में पड़ जाता था। जब यरूशलेम में रहने वाले प्रेरितों ने यह सुना कि सामरियों ने परमेश्वर का वचन स्वीकार कर लिया है, तो उन्होंने पतरस और योहन को उनके पास भेजा। वे दोनों वहां गये और उन्होंने सामरियों के लिए यह प्रार्थना की कि उन्हें पवित्र आत्मा प्राप्त हो। पवित्र आत्मा अब तक उनमें से किसी पर नहीं उतरा था। उन्हें केवल प्रभु येशु के नाम पर बपतिस्मा दिया गया था। अत: पतरस और योहन ने उन पर हाथ रखे और उन्हें पवित्र आत्मा प्राप्त हो गया। शिमोन ने यह देखा कि प्रेरितों के हाथ रखने से लोगों को पवित्र आत्मा प्राप्त हो जाता है, तो वह उनके पास रुपये ला कर बोला, “मुझे भी यह शक्ति दीजिए कि मैं जिस पर हाथ रखूँ, उसे पवित्र आत्मा प्राप्त हो जाये।” किन्तु पतरस ने उत्तर दिया, “नाश हो तेरा, और तेरे रुपयों का! क्योंकि तूने परमेश्वर का वरदान रुपयों से प्राप्त करने का विचार किया। इस बात में तेरा न तो कोई भाग है और न कोई अधिकार; क्योंकि तेरा हृदय परमेश्वर की दृष्टि में निष्कपट नहीं है। तू अपने इस पाप के लिए पश्चात्ताप कर और प्रभु से प्रार्थना कर, जिससे वह तेरा यह दुर्विचार क्षमा कर दे। मैं देख रहा हूँ कि तू पित्त की कड़वाहट से कूट-कूट कर भरा हुआ और अधर्म की बेड़ियों से जकड़ा हुआ है।” शिमोन ने उत्तर दिया, “आप लोग ही प्रभु से मेरे लिए प्रार्थना कीजिए, जिससे आपने जो बातें कही हैं, उन में एक भी मुझ पर न बीते।” जब पतरस और योहन साक्षी देकर प्रभु का संदेश सुना चुके, तब वे यरूशलेम लौट गये। उन्होंने इस यात्रा में सामरियों के बहुत-से गाँवों में शुभ समाचार सुनाया।
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