प्रेरितों 7:20-43

प्रेरितों 7:20-43 HINCLBSI

ऐसे समय मूसा का जन्‍म हुआ। वह अत्‍यन्‍त सुन्‍दर थे और तीन महीने तक अपने पिता के घर में पाले गये। इसके बाद जब वह फेंक दिये गये, तब फरओ की पुत्री ने उन्‍हें गोद ले लिया और अपने पुत्र की तरह उनका पालन-पोषण किया। मूसा को मिस्रियों की सब विद्याओं का प्रशिक्षण मिला। वह शक्‍तिशाली वक्‍ता और कर्मवीर बने। “जब वह चालीस वर्ष के हुए, तब उनके मन में आया कि अपने इस्राएली भाइयों से भेंट करें। उन में से एक के साथ दुर्व्यवहार होते देख कर, मूसा ने उसका पक्ष लिया और मिस्री को मार कर अत्‍याचार का बदला चुकाया। मूसा का विचार यह था कि मेरे भाई समझ जायेंगे कि परमेश्‍वर मेरे द्वारा उनका उद्धार करेगा; किन्‍तु उन्‍होंने ऐसा नहीं समझा। दूसरे दिन मूसा ने दो इस्राएलियों को लड़ते देखा। उन्‍होंने यह कह कर उन में मेल कराने का प्रयास किया, ‘मित्रो! आप लोग भाई-भाई हैं। आप क्‍यों एक दूसरे का अनिष्‍ट करना चाहते हैं?’ जो व्यक्‍ति अपने पड़ोसी के साथ अन्‍याय कर रहा था, उसने मूसा को एक ओर ढकेल दिया और कहा, ‘किसने तुम को हमारा शासक और न्‍यायकर्ता नियुक्‍त किया है? कल तुमने उस मिस्री का वध किया। क्‍या तुम उसी तरह मुझको भी मार डालना चाहते हो?’ इस बात पर मूसा वहाँ से भाग निकले और मिद्यान देश में परदेशी के रूप में रहने लगे। वहाँ उनके दो पुत्र उत्‍पन्न हुए। “चालीस वर्ष पश्‍चात् सीनय पर्वत के निर्जन प्रदेश में मूसा को जलती हुई झाड़ी की ज्‍वाला में एक स्‍वर्गदूत दिखाई दिया। यह देख कर मूसा अचम्‍भे में पड़ गये। जब वह इसका निरीक्षण करने के लिए निकट आये, तो उन्‍हें प्रभु की यह वाणी सुनाई दी, ‘मैं तेरे पूर्वजों का परमेश्‍वर हूँ − अब्राहम, इसहाक तथा याकूब का परमेश्‍वर।’ मूसा डर के मारे काँप उठे। उन्‍हें फिर देखने का साहस नहीं हुआ। तब परमेश्‍वर ने उन से यह कहा, ‘पैरों से जूते उतार, क्‍योंकि जिस स्‍थान पर तू खड़ा है, वह पवित्र भूमि है। मैंने मिस्र देश में रहने वाली अपनी प्रजा पर हो रहा अत्‍याचार अच्‍छी तरह देखा और उसकी कराह सुनी है। मैं उसका उद्धार करने उतरा हूँ। अब तैयार हो! मैं तुझे मिस्र देश भेजूँगा।’ “जिन मूसा को लोगों ने यह कहते हुए अस्‍वीकार किया था कि किसने तुम को हमारा शासक तथा न्‍यायकर्ता नियुक्‍त किया है?’ उन्‍हीं को परमेश्‍वर ने झाड़ी में दर्शन देने वाले स्‍वर्गदूत के माध्‍यम से शासक तथा मुक्‍तिदाता के रूप में उनके पास भेजा। वही मूसा उन्‍हें बाहर निकाल लाये और मिस्र देश में, लाल समुद्र के तट पर तथा निर्जन प्रदेश में चालीस वर्ष तक आश्‍चर्य कर्म और चिह्‍न दिखाते रहे। यह वही मूसा हैं जिन्‍होंने इस्राएलियों से कहा था, ‘परमेश्‍वर तुम्‍हारे भाइयों में से तुम्‍हारे लिए मुझ-जैसा एक नबी खड़ा करेगा।’ यह वही मूसा हैं जो निर्जन प्रदेश की मंडली में उस स्‍वर्गदूत के साथ थे, जिसने सीनय पर्वत पर उन से वार्तालाप किया था। वह हमारे पूर्वजों के साथ भी थे। मूसा को जीवन्‍त दिव्‍यवाणी प्राप्‍त हुई, ताकि वह उसे हम लोगों को सुनायें। किन्‍तु हमारे पूर्वजों ने उनकी बात मानना नहीं चाहा। उन्‍होंने मूसा को ठुकरा दिया। वे मिस्र देश लौटना चाहते थे। उन्‍होंने हारून से कहा, ‘हमारे लिए ऐसे देवतागण बनाइए, जो हमारे आगे-आगे चलें; क्‍योंकि हम नहीं जानते कि उस मूसा का क्‍या हुआ, जो हमें मिस्र देश से निकाल लाया था।’ उन दिनों उन्‍होंने बछड़े की मूर्ति बनायी और उसके आगे बलि चढ़ायी और अपने हाथों की बनायी हुई मूर्ति के लिये एक उत्‍सव मनाया। तब परमेश्‍वर उनसे विमुख हो गया और उसने उन्‍हें आकाश के नक्षत्रों की उपासना करने के लिए छोड़ दिया, जैसा कि नबियों की पुस्‍तक में लिखा है : ‘इस्राएलियो! क्‍या तुम लोगों ने निर्जन प्रदेश में चालीस वर्ष तक मुझे पशु-बलि तथा अन्न-बलि चढ़ायी थी? नहीं! तुम लोग तो मोलेक देवता के तम्‍बू को और अपने ईश्‍वर रैफान के तारे को, अर्थात् उन प्रतिमाओं को जिन्‍हें तुमने आराधना के निमित्त बनाया था, अपने कन्‍धों पर उठाकर ले जाते रहे। इसलिए मैं तुम लोगों को बेबीलोन के पार निर्वासित करूँगा।’