प्रधान महापुरोहित ने पूछा, “क्या ये बातें सही हैं?” स्तीफनुस ने उत्तर दिया, “भाइयो और गुरुजनो! मेरी बात सुनिए। जब हमारे पूर्वज अब्राहम हारान देश में बसने से पहले मेसोपोतामिया में रहते थे, तो उस समय महिमामय परमेश्वर ने उन्हें दर्शन दिये और कहा, ‘तू अपना देश तथा अपना कुटुम्ब छोड़ दे और उस देश को जा, जिसे मैं तुझे दिखाऊंगा’। इस पर वह कसदियों का देश छोड़ कर हारान देश में बस गये। उनके पिता के देहान्त के बाद, परमेश्वर उन्हें वहां से हटा कर इस देश में लाया, जहां आप आजकल रहते हैं। इस देश में परमेश्वर ने उन्हें विरासत के रूप में पैर रखने को भी जगह नहीं दी; किन्तु उसने प्रतिज्ञा की कि मैं यह देश तुम्हारे अधिकार में और तुम्हारे पश्चात् तुम्हारे वंश के अधिकार में कर दूंगा, यद्यपि उस समय अब्राहम के कोई सन्तान नहीं थी। परमेश्वर ने यह कहा, ‘अब्राहम के वंशज पराये देश में परदेशी की तरह निवास करेंगे। वे लोग उन्हें दास बनायेंगे और चार सौ वर्ष तक उन पर अत्याचार करते रहेंगे।’ परमेश्वर ने फिर कहा, ‘मैं उस राष्ट्र को दण्ड दूंगा जिसके वे दास होंगे। इसके बाद वे वहां से बाहर निकल आयेंगे और इस स्थान में मेरी उपासना करेंगे।’ तब परमेश्वर ने अब्राहम के लिए ख़तने का विधान निर्धारित किया। और सचमुच, अब्राहम ने इसहाक को उत्पन्न किया और आठवें दिन उनका ख़तना किया। इसहाक से याकूब और याकूब से बारह कुलपति उत्पन्न हुए। “इन कुलपतियों ने ईष्र्या के कारण यूसुफ़ को मिस्र देश में बेच दिया, किन्तु परमेश्वर उसके साथ रहा। उसने सब विपत्तियों से उसको छुड़ाया और उसे मिस्र देश के राजा फरओ की दृष्टि में प्रिय तथा बुद्धिमान् बना दिया। फरओ ने यूसुफ को मिस्र का तथा अपने समस्त राजभवन का अधिकारी नियुक्त किया। उस समय सारे मिस्र तथा कनान देश में अकाल और घोर संकट पड़ा। इस कारण हमारे पूर्वजों को अन्न नहीं मिल रहा था। जब याकूब ने यह सुना कि मिस्र देश में अनाज मिलता है, तो उन्होंने हमारे पूर्वजों को वहां पहली बार भेजा। दूसरी यात्रा के अवसर पर यूसुफ़ ने अपने भाइयों को अपना परिचय दिया और फरओ को भी यूसुफ़ के कुल का पता चला। तब यूसुफ़ ने अपने पिता याकूब और उनके सारे परिवार को बुला भेजा। सब मिला कर वे पचहत्तर व्यक्ति थे। याकूब मिस्र देश गये। वहां उनका और हमारे पूर्वजों का भी देहान्त हुआ। बाद में उनके अवशेष शकेम नगर लाये गये और उस क़बर में रखे गये, जिसे अब्राहम ने शकेम में हमोर के पुत्रों से चाँदी दे कर खरीदा था। “परमेश्वर ने अब्राहम से जो प्रतिज्ञा की थी, जब उसके पूर्ण होने का समय निकट आया, तब हमारे लोगों की संख्या मिस्र देश में बहुत अधिक बढ़ गई। अन्तत: मिस्र देश में एक ऐसा राजा हुआ, जो यूसुफ के विषय में कुछ नहीं जानता था। उसने हमारी जाति के साथ कपटपूर्ण व्यवहार किया, और हमारे पूर्वजों पर अत्याचार किया। उसने हमारे पूर्वजों को बाध्य किया कि वे अपने नवजात शिशुओं को बाहर फेंक दिया करें, जिससे वे जीवित न रह सकें। ऐसे समय मूसा का जन्म हुआ। वह अत्यन्त सुन्दर थे और तीन महीने तक अपने पिता के घर में पाले गये। इसके बाद जब वह फेंक दिये गये, तब फरओ की पुत्री ने उन्हें गोद ले लिया और अपने पुत्र की तरह उनका पालन-पोषण किया।
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