अत: यहूदियों ने पौलुस के साथ एक दिन निश्चित किया और बड़ी संख्या में उनके यहाँ एकत्र हुए। पौलुस सुबह से शाम तक उनके लिए व्याख्या करते रहे। उन्होंने परमेश्वर के राज्य के विषय में साक्षी दी और मूसा की व्यवस्था तथा नबी-ग्रंथों के आधार पर उनको येशु के संबंध में समझाने का प्रयत्न किया। उनमें कुछ लोग पौलुस के तर्क मान गये और कुछ अविश्वासी बने रहे। जब वे आपस में सहमत नहीं हुए और विदा होने लगे, तो पौलुस ने उन से यह एक बात कही, “पवित्र आत्मा ने नबी यशायाह के मुख से आप लोगों के पूर्वजों से ठीक ही कहा है, ‘इन लोगों के पास जा कर यह कहो : तुम सुनोगे अवश्य, पर नहीं समझोगे। तुम देखोगे अवश्य, पर तुम्हें सूझ नहीं पड़ेगा
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