“मैं आपके सामने इतना अवश्य स्वीकार करूँगा कि ये जिसे कुपंथ कहते हैं, मैं उसी मार्ग के अनुसार अपने पूर्वजों के परमेश्वर की उपासना करता हूँ; क्योंकि जो कुछ व्यवस्था तथा नबी-ग्रंथों में लिखा है, मैं उस सब पर विश्वास करता हूँ। मुझे परमेश्वर से आशा है, जैसे इनको भी है कि धर्मियों तथा अधर्मियों दोनों का पुनरुत्थान होगा। इसलिए मैं परमेश्वर तथा मनुष्यों की दृष्टि में अपना अन्त:करण निर्दोष बनाये रखने का निरन्तर प्रयत्न करता रहता हूँ।
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