प्रेरितों 21:18-40

प्रेरितों 21:18-40 HINCLBSI

दूसरे दिन पौलुस हमारे साथ याकूब के यहाँ गये। वहाँ सब धर्मवृद्ध एकत्र थे। पौलुस ने उनका अभिवादन किया और परमेश्‍वर ने उनके सेवा-कार्य द्वारा गैर-यहूदियों के बीच जो कुछ किया था, सब एक-एक करके उन्‍हें बताया। उन्‍होंने यह सुन कर परमेश्‍वर की स्‍तुति की और पौलुस से कहा, “भाई! आप देखते हैं कि हजारों यहूदियों ने विश्‍वास कर लिया है और वे सब व्‍यवस्‍था के कट्टर समर्थक भी हैं। उन्‍होंने आपके विषय में सुना है कि आप गैर-यहूदियों के बीच रहने वाले यहूदियों को यह शिक्षा देते हैं कि वे मूसा की शिक्षा को त्‍याग दें; क्‍योंकि आप उन से कहते हैं कि वे न तो अपने बच्‍चों का खतना करें और न पुरानी प्रथाओं का पालन करें। अब क्‍या किया जाये? वे अवश्‍य सुनेंगे कि आप आ गये हैं। इसलिए आप हमारा कहना मानिए। यहाँ चार व्यक्‍ति हैं जिन्‍होंने व्रत लिया है। इन्‍हें ले जाइए और इनके साथ अपने को शुद्ध कीजिए और इनके मुण्‍डन का शुल्‍क दीजिए। इस प्रकार सब यह जान जायेंगे कि उन्‍होंने आपके विषय में जो सुना है, वह मिथ्‍या है, और आप स्‍वयं व्‍यवस्‍था का पालन करते तथा उसके अनुसार चलते हैं। जहाँ तक विश्‍वासी ग़ैर-यहूदियों का प्रश्‍न है, हमने पत्र लिख कर अपना यह निर्णय भेज दिया है कि वे मूर्तियों पर चढ़ाये हुए मांस से, रक्‍त के खान-पान से, गला घोंटे हुए पशुओं के मांस से और व्‍यभिचार से परहेज करें!” अत: पौलुस उन व्यक्‍तियों को ले गये। दूसरे दिन उनके साथ स्‍वयं को शुद्ध करने के बाद पौलुस ने मन्‍दिर में प्रवेश किया तथा यह सूचित किया कि किस तिथि को शुद्धीकरण की अवधि पूरी होगी और उन में से प्रत्‍येक के लिए भेंट चढ़ायी जायेगी। सात दिन की अवधि पूरी होने पर थी कि आसिया के यहूदियों ने पौलुस को मन्‍दिर में देख कर समस्‍त जनसमूह को भड़का दिया। वे पौलुस को पकड़ कर चिल्‍लाने लगे, “इस्राएली भाइयो! हमारी सहायता कीजिये! यह वही व्यक्‍ति है, जो सब जगह सब लोगों में ऐसी शिक्षा का प्रचार करता है, जो हमारी जाति, हमारी व्‍यवस्‍था और इस मन्‍दिर के विरुद्ध है। यही नहीं, इसने यूनानियों को मन्‍दिर में लाकर इस पवित्र स्‍थान को भ्रष्‍ट कर दिया है।” वे इफिसुस-निवासी त्रोफ़िमुस को पौलुस के साथ नगर में देख चुके थे। इसलिये उन्‍होंने यह समझा कि पौलुस उसे मन्‍दिर में लाये हैं। सारे शहर में खलबली मच गयी और लोग चारों ओर से दौड़ते हुए एकत्र हो गये। वे पौलुस को पकड़ कर मन्‍दिर के बाहर खींच लाये और मन्‍दिर के द्वार तुरन्‍त बन्‍द कर दिये गये। वे पौलुस का वध करना चाहते ही थे कि रोमन सैन्‍यदल के नायक को सूचना मिली कि समस्‍त यरूशलेम में उपद्रव मचा हुआ है। वह तुरन्‍त सैनिकों तथा शतपतियों को ले कर भीड़ की ओर दौड़ पड़ा। जब लोगों ने सेना-नायक तथा सैनिकों को देखा, तो उन्‍होंने पौलुस को पीटना बन्‍द कर दिया। सेना-नायक ने निकट आ कर पौलुस को गिरफ्‍तार कर लिया और उसे दो बेड़ियों से बाँधने का आदेश दिया। तब उसने पूछा कि यह कौन है और इसने क्‍या किया है। भीड़ में कोई कुछ चिल्‍ला रहा था, तो कोई कुछ। होहल्‍ला के मारे सेना-नायक तथ्‍य तक नहीं पहुंच सका; इसलिए उसने पौलुस को किले में ले जाने का आदेश दिया। जब पौलुस सीढ़ियों पर पहुंचे, तो भीड़ की हिंसक वृत्ति के कारण सैनिकों को उन्‍हें उठाकर ले जाना पड़ा। भीड़ “मारो! मारो!” चिल्‍लाते हुए पीछे-पीछे आ रही थी। जब सैनिक पौलुस को किले के अन्‍दर ले जा रहे थे, तो पौलुस ने सेना-नायक से कहा, “क्‍या मैं आप से कुछ निवेदन कर सकता हूँ?” उसने उत्तर दिया, “क्‍या तुम यूनानी भाषा जानते हो? क्‍या तुम वह मिस्री नहीं हो, जिसने कुछ समय पहले विद्रोह किया था और चार हजार कृपाणधारी लोगों को निर्जन प्रदेश में ले गया था?” पौलुस ने कहा, “मैं यहूदी हूँ और किलिकिया के तरसुस नगर का निवासी हूँ। मैं किसी साधारण नगर का नागरिक नहीं हूं। मेरा निवेदन है कि आप मुझे भीड़ को सम्‍बोधित करने की अनुमति दें।” उसने अनुमति दे दी। तब पौलुस ने सीढ़ियों पर खड़े हो कर हाथ से लोगों को चुप रहने के लिए संकेत किया। जब सब चुप हो गये, तो पौलुस ने उन्‍हें इब्रानी भाषा में सम्‍बोधित किया