पौलुस ने मिलेतुस से संदेश भेज कर इफिसुस की कलीसिया के धर्मवृद्धों को बुलाया और उनके पहुंचने पर उनसे यह कहा, “आप लोग जानते हैं कि जिस दिन से मैं पहले-पहल आसिया पहुँचा, उस दिन से मेरा आचरण आपके बीच कैसा रहा। किस प्रकार मैं आँसू बहा कर बड़ी विनम्रता से उन संकटों में प्रभु की सेवा करता रहा, जो यहूदियों के षड्यन्त्रों के कारण मुझ पर आये थे। जो बातें आप लोगों के लिए हितकर थीं, उन्हें बताने में मैंने कभी संकोच नहीं किया, बल्कि मैं सब के सामने और घर-घर जा कर उनके सम्बन्ध में शिक्षा देता रहा। मैं यहूदियों तथा यूनानियों, दोनों के सम्मुख स्पष्ट साक्षी देता रहा कि वे पश्चात्ताप कर परमेश्वर की ओर अभिमुख हो जाएं और हमारे प्रभु येशु में विश्वास करें। “अब मैं आत्मा की प्रेरणा से विवश हो कर यरूशलेम जा रहा हूँ। वहाँ मुझ पर क्या बीतेगी, मैं यह नहीं जानता; केवल यह जानता हूं कि प्रत्येक नगर में पवित्र आत्मा मुझे स्पष्ट चेतावनी दे रहा है कि वहाँ बेड़ियाँ और कष्ट मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं। किन्तु मेरी दृष्टि में मेरे जीवन का कोई मूल्य नहीं। मैं तो केवल अपनी दौड़ समाप्त करना और वह सेवाकार्य पूरा करना चाहता हूँ, जिसे प्रभु येशु ने मुझे सौंपा है − अर्थात् मैं परमेश्वर के अनुग्रह के शुभ समाचार की साक्षी देता रहूँ। “मैं आप लोगों के बीच राज्य का सन्देश सुनाता रहा। अब, मैं जानता हूँ कि आप में कोई भी मेरा मुँह फिर कभी नहीं देख पायेगा। इसलिए मैं आज आप के सम्मुख साक्षी देता हूं कि मैं आप सब के रक्त से निर्दोष हूं; क्योंकि मैंने आप लोगों को परमेश्वर का सम्पूर्ण अभिप्राय बताने में कुछ भी उठा नहीं रखा। “आप लोग अपने लिए और सारे झुण्ड के लिए सावधान रहिए। पवित्र आत्मा ने आप को झुण्ड की रखवाली का भार सौंपा है, ताकि आप परमेश्वर की कलीसिया के सच्चे चरवाहे बने रहें, जिसे उसने अपने पुत्र का रक्त दे कर प्राप्त किया है। मैं जानता हूँ कि मेरे चले जाने के बाद खूंखार भेड़िये आप लोगों के बीच घुस आयेंगे, जो झुण्ड पर दया नहीं करेंगे। आप लोगों में भी ऐसे लोग निकल आयेंगे, जो शिष्यों को भटका कर अपने अनुयायी बनाने के लिए भ्रान्तिपूर्ण बातों का प्रचार करेंगे। इसलिए जागते रहिए और याद रखिए कि मैं आँसू बहा-बहा कर तीन वर्षों तक दिन-रात आप लोगों में हर एक को सावधान करता रहा। अब मैं आप लोगों को परमेश्वर के तथा उसके अनुग्रहपूर्ण वचन के संरक्षण में सौंपता हूं, जो आपका निर्माण करने तथा सब पवित्र किए हुए भक्तों के साथ आप को विरासत दिलाने में समर्थ है। “मैंने कभी किसी की चाँदी, सोना अथवा वस्त्र का लोभ नहीं किया। आप लोग स्वयं जानते हैं कि मैंने अपनी और अपने साथियों की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए अपने इन हाथों से काम किया। मैंने सदा आपके सम्मुख उदाहरण रखा कि हमें किस प्रकार परिश्रम करते हुए निर्बलों की सहायता करनी चाहिए और प्रभु येशु के शब्द स्मरण रखना चाहिए, जो उन्होंने स्वयं कहे थे : ‘लेने की अपेक्षा देना धन्य है’।” इतना कह कर पौलुस ने उन सब के साथ घुटने टेक कर प्रार्थना की। सब फूट-फूट कर रोने और पौलुस को गले लगा कर चुम्बन करने लगे। वे दु:खी हुए, विशेष कर पौलुस की इस बात से कि वे फिर कभी उनका मुंह नहीं देखेंगे। इसके बाद वे पौलुस को जलयान तक छोड़ने आये।
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