प्रेरितों 15:12-21

प्रेरितों 15:12-21 HINCLBSI

इस पर सारी सभा चुप हो गयी और बरनबास तथा पौलुस की बातें सुनने लगी। वे उन महान चिह्‍नों तथा आश्‍चर्य-कर्मों के विषय में बता रहे थे, जिन्‍हें परमेश्‍वर ने उनके माध्‍यम से अन्‍यजातियों के बीच दिखाया था। जब वे बोल चुके थे, तो याकूब ने अपनी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की, “भाइयो! मेरी बात सुनिए। शिमोन ने हमें बताया कि प्रारम्‍भ में परमेश्‍वर ने किस प्रकार गैर-यहूदियों में अपने नाम के लिए ‘निज लोग’ चुनने की कृपा की। यह नबियों की वाणी के अनुसार ही है; क्‍योंकि धर्मग्रन्‍थ में लिखा है : ‘इसके पश्‍चात् मैं लौटूंगा, और दाऊद के गिरे हुए निवास-स्‍थान को पुन: बनाऊंगा। मैं उसके खंडहरों का पुनर्निर्माण करूँगा, और उसे फिर खड़ा करूंगा, जिससे मानव-जाति के शेष लोग, अर्थात् सभी जातियाँ जिनको अपनाने के लिए मैंने उन्‍हें अपना नाम दिया है, प्रभु की खोज में लगे रहें। यह कथन उस प्रभु का है जो सृष्‍टि के आरम्‍भ से यह प्रकट करता आया है।’ “इसलिए भाइयो! मैं इस निष्‍कर्ष पर पहुँचा हूँ कि जो गैर-यहूदी परमेश्‍वर की ओर अभिमुख होते हैं, उन पर व्‍यवस्‍था का अनावश्‍यक भार न डाला जाये, बल्‍कि पत्र लिख कर उन्‍हें बताया जाये कि वे मूर्तियों की अशुद्धताओं से, व्‍यभिचार से, गला घोंटे हुए पशुओं के मांस से और रक्‍त के खान-पान से परहेज करें; क्‍योंकि प्राचीन काल से नगर-नगर में मूसा की इन बातों के प्रचारक विद्यमान हैं, जो प्रत्‍येक विश्राम-दिवस को सभागृहों में मूसा की व्‍यवस्‍था से पाठ करते हैं।”

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