प्रेरितों 12:4-11

प्रेरितों 12:4-11 HINCLBSI

उसने पतरस को पकड़वा कर बन्‍दीगृह में डलवाया और उसे चार-चार सैनिकों के चार दलों के पहरे में रख दिया। वह पास्‍का (फसह) पर्व के बाद उसे लोगों के सामने पेश करना चाहता था। जब पतरस पर इस प्रकार बन्‍दीगृह में पहरा बैठा हुआ था, तब कलीसिया उनके लिए आग्रह के साथ परमेश्‍वर से प्रार्थना कर रही थी। जिस दिन हेरोदेस पतरस को पेश करने वाला था, उसके पहले की रात को पतरस, दो हथकड़ियों में बँधे हुये, दो सैनिकों के बीच सो रहे थे और द्वार के सामने भी सन्‍तरी पहरा दे रहे थे। प्रभु का दूत अचानक आ खड़ा हुआ और कोठरी प्रकाश से भर गई। उसने पतरस की बगल थपथपा कर उन्‍हें जगाया और कहा, “जल्‍दी उठिए!” इस पर पतरस की हथकड़ियाँ खुलकर गिर पड़ीं। तब दूत ने उन से कहा, “कमर बाँधिए और चप्‍पल पहन लीजिए।” पतरस ने यही किया। दूत ने फिर कहा, “चादर ओढ़ कर मेरे पीछे चले आइए।” पतरस उसके पीछे-पीछे बाहर निकल गये। वह नहीं जानते थे कि जो कुछ दूत द्वारा हो रहा है, वह वास्‍तविक है। उन्‍होंने सोचा कि मैं स्‍वप्‍न देख रहा हूँ। वे पहला पहरा और फिर दूसरा पहरा पार कर उस लोहे के फाटक तक पहुँचे, जहाँ से शहर की ओर मार्ग जाता है। वह उनके लिए अपने आप खुल गया। वे बाहर निकले और गली के छोर तक आये कि दूत अचानक पतरस को छोड़कर चला गया। तब पतरस होश में आये और बोले, “अब मुझे निश्‍चय हो गया कि प्रभु ने अपने दूत को भेज कर मुझे हेरोदेस के पंजे से छुड़ाया और यहूदियों की सारी आशाओं पर पानी फेर दिया है।”