प्रेरितों 10:1-20

प्रेरितों 10:1-20 HINCLBSI

कैसरिया में करनेलियुस नामक एक मनुष्‍य रहता था। वह इतालवी नामक सेना-दल का शतपति था। वह, और उसका समस्‍त परिवार भी, धर्मपरायण तथा ईश्‍वर-भक्‍त था। वह जनता को बहुत दान दिया करता और हर समय परमेश्‍वर की प्रार्थना में लगा रहता था। उसने एक दिन दोपहर के लगभग तीन बजे दर्शन में यह साफ-साफ देखा कि परमेश्‍वर का दूत उसके पास आ कर कह रहा है, “करनेलियुस!” करनेलियुस ने उस पर आँखें गड़ा दीं, और भयभीत हो कर कहा, “प्रभु! क्‍या है?” स्‍वर्गदूत ने उत्तर दिया, “आपकी प्रार्थनाएं और आपके दान परमेश्‍वर के सामने पहुँचे हैं और उसने आपको स्‍मरण किया है। अब आप आदमियों को याफा नगर भेजिए और सिमोन को, जो पतरस कहलाते हैं बुला लीजिए। वह चर्मकार शिमोन के यहां ठहरे हुए हैं। उसका घर समुद्र के किनारे है।” जब वह स्‍वर्गदूत, जो उससे बात कर रहा था, चला गया तो करनेलियुस ने दो सेवकों और अपने अनुचरों में से एक धर्मपरायण सैनिक को बुलाया और उन्‍हें सारी बातें समझा कर याफा नगर भेजा। दूसरे दिन जब वे यात्रा करते-करते नगर के निकट पहुँच रहे थे, तब पतरस लगभग दोपहर के समय छत पर प्रार्थना करने गये। उस समय उन्‍हें भूख लगी और भोजन करने की इच्‍छा हुई। लोग भोजन बना ही रहे थे कि पतरस आत्‍मा से आविष्‍ट हो गये। उन्‍होंने देखा कि स्‍वर्ग खुल गया है और लम्‍बी-चौड़ी चादर-जैसा कोई पात्र उतर रहा है और उसके चारों कोने पृथ्‍वी पर रखे जा रहे हैं; उस में सब प्रकार के चौपाये, पृथ्‍वी पर रेंगने वाले जीव-जन्‍तु और आकाश के पक्षी हैं। तब उन्‍हें यह वाणी सुनाई दी, जिसने कहा, “पतरस! उठो, इन्‍हें मारो और खाओ।” किन्‍तु पतरस ने कहा, “प्रभु! कभी नहीं! मैंने कभी कोई अपवित्र अथवा अशुद्ध वस्‍तु नहीं खायी!” फिर वह वाणी दूसरी बार उन्‍हें सुनाई पड़ी, “परमेश्‍वर ने जिसे शुद्ध घोषित किया, तुम उसे अशुद्ध मत कहो।” तीन बार ऐसा ही हुआ और इसके पश्‍चात् वह पात्र अचानक स्‍वर्ग में ऊपर उठा लिया गया। पतरस अभी यह नहीं समझ पा रहे थे कि उन्‍होंने जो दृश्‍य देखा है, उसका क्‍या तात्‍पर्य हो सकता है। इतने में करनेलियुस द्वारा भेजे गये मनुष्‍य शिमोन के घर का पता लगा कर द्वार पर आ पहुँचे। उन्‍होंने ऊंचे स्‍वर में पुकारकर यह पूछा, “क्‍या सिमोन, जो पतरस कहलाते हैं, इसी घर में ठहरे हुए हैं?” पतरस अब भी उस दर्शन के विषय में विचार कर रहे थे कि आत्‍मा ने उनसे कहा, “देखो! तीन मनुष्‍य तुम को ढूंढ़ रहे हैं। उठो, नीचे उतरो और निस्‍संकोच उनके साथ चले जाओ, क्‍योंकि उन्‍हें मैंने भेजा है।”

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