भाइयो और बहिनो! आप लोगों के विषय में परमेश्वर को निरन्तर धन्यवाद देना हमारा उचित कर्त्तव्य है; क्योंकि आपका विश्वास बहुत अच्छी तरह फल-फूल रहा है और आप-सब का एक दूसरे के प्रति प्रेम बढ़ रहा है। इसलिए हम स्वयं परमेश्वर की कलीसियाओं में आप लोगों पर गौरव करते हैं, क्योंकि आप धैर्य और विश्वास के साथ हर प्रकार का अत्याचार और कष्ट सहन करते हैं। इसके द्वारा परमेश्वर का वह निर्णय न्यायोचित सिद्ध हो जाता है, जो आप को परमेश्वर के राज्य के योग्य समझेगा, जिसके लिए आप सब दु:ख भोगते हैं। परमेश्वर की दृष्टि में यह सर्वथा न्याय-संगत है कि वह उन लोगों को कष्ट दे जो आपको कष्ट दे रहे हैं और आप को, जो कष्ट सह रहे हैं, और हम को, उस समय विश्राम दे, जब प्रभु येशु प्रकट होंगे और अपने शक्तिशाली दूतों के साथ प्रज्वलित अग्नि में आकाश से उतरेंगे। तब वह उन लोगों को दण्डित करेंगे, जो परमेश्वर को स्वीकार नहीं करते और हमारे प्रभु येशु का शुभ समाचार सुनने से इन्कार करते हैं। ऐसे लोगों को प्रभु के सान्निध्य और उनके तेजोमय सामर्थ्य से पृथक होकर अनंत विनाश का दण्ड मिलेगा। यह उस दिन होगा जब प्रभु अपने संतों में महिमा-मंडित होने और उन सब में आश्चर्य का कारण बनने आयेंगे, जिन्होंने विश्वास किया है। और विश्वास का विषय तो वह साक्षी है, जो हमने आपको दी है। अत: हम निरन्तर आप लोगों के लिए यह प्रार्थना करते हैं हमारा परमेश्वर आप को अपने बुलावे के योग्य बना दे और आपकी प्रत्येक सद्इच्छा तथा विश्वास से किया हुआ आपका प्रत्येक कार्य अपने सामर्थ्य से पूर्णता तक पहुँचा दे। इस प्रकार हमारे परमेश्वर की और प्रभु येशु मसीह की कृपा के द्वारा हमारे प्रभु येशु का नाम आप में गौरवान्वित होगा, और आप लोग भी उन में गौरवान्वित होंगे।
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