राजा दाऊद अपने महल में रहने लगा। प्रभु ने उसके चारों ओर के शत्रुओं से उसे शान्ति प्रदान की। एक दिन राजा दाऊद ने नबी नातान से यह कहा, ‘देखिए, मैं तो देवदार के महल में रहता हूँ, परन्तु परमेश्वर की मंजूषा तम्बू के भीतर पड़ी है।’ नातान ने राजा से कहा, ‘जाइए; जो कुछ आपके हृदय में है, उसको आप कर डालिए; क्योंकि प्रभु आपके साथ है।’ उसी रात को प्रभु का यह सन्देश नातान को सुनाई दिया : ‘जा, और मेरे सेवक दाऊद से यह कह, “प्रभु यों कहता है : क्या तू मेरे निवास के लिए भवन बनाएगा? जिस दिन मैंने इस्राएली समाज को मिस्र देश से बाहर निकाला, उस दिन से आज तक मैं भवन में नहीं रहा। मैं तम्बू और शिविरों में यात्रा करता रहा। जहाँ-जहाँ मैंने इस्राएली समाज के साथ यात्रा की, क्या मैंने इस्राएलियों के शासकों से, जिन्हें मैंने ही अपने निज लोग, इस्राएलियों की देख-भाल के लिए नियुक्त किया था, कभी यह कहा था ‘तुमने मेरे लिए देवदार का भवन क्यों नहीं बनाया?’ ” अत: अब तू मेरे सेवक दाऊद से यों कहना : “स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है : मैंने तुझे चरागाह से निकाला। भेड़-बकरियों के पीछे जाने से रोका कि तुझे अपने निज लोग इस्राएलियों का अगुआ बनाऊं। जहाँ-जहाँ तू गया, मैं तेरे साथ रहा। मैंने तेरे शत्रुओं को नष्ट किया। अब मैं तेरे नाम को पृथ्वी के महान् नामों के सदृश महान् करूँगा। मैं अपने निज लोग इस्राएलियों के लिए एक स्थान निर्धारित करूँगा। मैं उन्हें वहाँ बसाऊंगा जिससे वे अपने स्थान में निवास करेंगे, और उन्हें फिर नहीं सताया जाएगा। दुर्जन उन्हें फिर दु:ख नहीं देंगे, जैसे वे पहले करते थे, जब मैंने अपने निज लोग, इस्राएलियों के लिए शासक नियुक्त किए थे। मैं तेरे सब शत्रुओं से तुझे शान्ति प्रदान करूँगा। इसके अतिरिक्त मैं-प्रभु तुझ पर यह बात प्रकट करता हूँ : मैं-प्रभु तुझे ‘भवन’ बनाऊंगा। जब तेरी आयु पूरी हो जाएगी, और तू अपने मृत पूर्वजों के साथ सो जाएगा, तब मैं तेरे पश्चात् तेरे वंश को, तेरी देह के फल को उत्तराधिकारी नियुक्त करूँगा, और उसके राज्य को सुदृढ़ बनाऊंगा। वह मेरे नाम के निवास के लिए भवन बनाएगा। मैं उसके राज्य-सिंहासन को सदा-सर्वदा के लिए सुदृढ़ कर दूँगा। मैं उसका पिता होऊंगा, और वह मेरा पुत्र होगा। यदि वह अधर्म करेगा तो मैं मनुष्यों के समान उसे छड़ी से दण्ड दूँगा, आदमियों के सदृश उसे कोड़े से मारूँगा। परन्तु जैसे मैंने तेरे पूर्ववर्ती राजा शाऊल के प्रति करुणा करना छोड़ दिया था, वैसे मैं उसके प्रति नहीं करूँगा। तेरा वंश और तेरा राज्य मेरे सम्मुख सदा स्थिर रहेंगे। तेरा सिंहासन सर्वदा अटल रहेगा।” ’
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