दाऊद ने इस्राएली राष्ट्र के तीस हजार सैनिक फिर एकत्र किए। वह अपने सब सैनिकों के साथ यहूदा प्रदेश के बालाह नगर को गया कि वे वहाँ से परमेश्वर की मंजूषा लाएँ। उसको ‘करूबों पर विराजने वाले स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु की मंजूषा’ के नाम से पुकारा जाता है। उन्होंने परमेश्वर की मंजूषा को एक नई गाड़ी पर चढ़ाया और अबीनादब के घर से बाहर निकाला। उसका घर एक पहाड़ी टीले पर था। अबीनादब के पुत्र ऊज्जाह और अह्यो नई गाड़ी को हांक रहे थे। ऊज्जाह परमेश्वर की मंजूषा की बगल में और अह्यो उसके आगे चल रहा था। दाऊद और इस्राएल के सब कुलों के लोग प्रभु के सम्मुख वीणा, सारंगी, डफ, डमरू और झांझ की ताल पर पूरे उत्साह से नाच-गा रहे थे। जब वे नाकोन नामक किसान के खलियान पर पहुँचे, तब बैलों को ठोकर लगी। अत: ऊज्जाह ने परमेश्वर की मंजूषा की ओर अपना हाथ बढ़ाया, और उसको पकड़ लिया। ऊज्जाह के प्रति प्रभु का क्रोध भड़क उठा। परमेश्वर ने उसकी इस असावधानी के कारण वहीं उस पर प्रहार किया, और वह परमेश्वर की मंजूषा के पास ही मर गया। दाऊद को क्रोध आया; क्योंकि प्रभु इस प्रकार ऊज्जाह पर टूट पड़ा था। इस कारण उस स्थान को आज भी पेरस-ऊज्जाह कहा जाता है। उस दिन दाऊद प्रभु से डर गया। उसने कहा, ‘प्रभु की मंजूषा कैसे मेरे पास आ सकती है?’ अत: उसने निश्चय किया कि वह प्रभु की मंजूषा को दाऊदपुर में नहीं ले जाएगा। वह उसको गत नगर के निवासी ओबेद-एदोम के घर में ले गया। प्रभु की मंजूषा गत नगर के निवासी ओबेद-एदोम के घर में तीन महीने तक रही। प्रभु ने ओबेद-एदोम तथा उसके समस्त परिवार को आशिष दी।
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