2 शमूएल 2
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दाऊद का यहूदा प्रदेश का राजा बनना
1इसके पश्चात् दाऊद ने प्रभु से यह पूछा, ‘क्या मैं यहूदा प्रदेश के किसी नगर में जा सकता हूँ?’ प्रभु ने उसको उत्तर दिया, ‘जा।’ दाऊद ने फिर पूछा, ‘मैं किस नगर में जाऊं?’ प्रभु ने कहा, ‘हेब्रोन नगर को जा।’ 2अत: दाऊद अपनी दोनों पत्नियों− यिज्रएल नगर की अहीनोअम और कर्मेल निवासी नाबाल की विधवा अबीगइल−के साथ वहाँ चला गया।#1 शम 25:42-43 3वह अपने प्रत्येक साथी को भी उसके पूरे परिवार के साथ ले गया। वे हेब्रोन के गांवों में रहने लगे।
4तब यहूदा प्रदेश के निवासी वहाँ आए। उन्होंने दाऊद को यहूदा-पितृकुल का राजा अभिषिक्त किया।
उन्होंने दाऊद को यह बताया, ‘याबेश-गिलआद नगर के नागरिकों ने शाऊल को दफना दिया है।’#1 शम 16:13; 31:11 5अत: दाऊद ने याबेश-गिलआद के नागरिकों के पास दूतों के हाथ यह सन्देश भेजा : ‘तुमने अपने स्वामी शाऊल के साथ दयापूर्ण व्यवहार किया। तुमने उनको दफनाया। अत: प्रभु तुम्हारे इस कार्य के लिए तुम्हें आशिष दे। 6अब प्रभु तुम्हारे साथ भी दयापूर्ण तथा सच्चा व्यवहार करे। तुमने यह भला कार्य किया, इसलिए मैं भी तुम्हारे साथ भलाई करूँगा 7तुम्हारे हाथ मजबूत हों! तुम शूरवीर बनो! तुम्हारे स्वामी शाऊल मर गए हैं, और अब यहूदा के वंशजों ने मुझे अपना राजा अभिषिक्त किया है।’
दाऊद का शाऊल के राज-परिवार से युद्ध
8शाऊल के सेनापति अब्नेर बेन-नेर ने शाऊल के पुत्र ईशबोशेत को अपने साथ लिया। उसने यर्दन नदी पार की, और उसे महनइम नगर ले गया। 9वहाँ अब्नेर ने उसे गिलआद, अशूरी, यिज्रएल, एफ्रइम, बिन्यामिन और समस्त इस्राएल प्रदेश का राजा बना दिया। 10जब शाऊल का पुत्र ईशबोशेत इस्राएल देश पर राज्य करने लगा, तब वह चालीस वर्ष का था। उसने दो वर्ष तक राज्य किया। किन्तु यहूदा के वंशजों ने दाऊद का अनुसरण किया। 11दाऊद ने हेब्रोन नगर में यहूदा के वंशजों पर साढ़े सात वर्ष तक राज्य किया।
12नेर का पुत्र अब्नेर तथा शाऊल के पुत्र ईशबोशेत के दरबारी महनइम नगर से निकल कर गिबओन नगर को गए। 13सरूयाह का पुत्र योआब और दाऊद के दरबारी भी अपने नगर से बाहर निकले और उनसे गिबओन के जलाशय पर मिले। अब्नेर तथा ईशबोशेत के दरबारी जलाशय की एक ओर तथा योआब और दाऊद के दरबारी जलाशय की दूसरी ओर बैठ गए। 14अब्नेर ने योआब से कहा, ‘हमारे और तुम्हारे सैनिक उठें, और हमारे सम्मुख द्वन्द्वयुद्ध का खेल प्रदर्शित करें।’ अत: योआब ने आदेश दिया, ‘सैनिको, उठो!’ 15अत: वे उठे। उनकी गणना की गई : ईशबोशेत की ओर से बिन्यामिन कुल के बारह सैनिक, और दाऊद के दरबारियों में से बारह। 16प्रत्येक सैनिक ने अपने विपक्षी का सिर पकड़ा, और उसकी पसली में अपनी तलवार भोंक दी। यों वे एक-साथ भूमि पर गिर पड़े। इस कारण उस स्थान का नाम हेल्कत-हस्सूरीम#2:16 अर्थात् “तलवार की धार का मैदान” , अथवा “पसलियों का मैदान” पड़ गया। वह गिबओन में है।
17उस दिन घमासान युद्ध हुआ। अब्नेर और इस्राएली सैनिक दाऊद के दरबारियों के सम्मुख हार गए।
18सरूयाह के तीन पुत्र−योआब, अबीशय और असाएल−वहाँ थे। असाएल जंगली चिकारा के समान तेज दौड़ने वाला था। 19उसने अब्नेर का पीछा किया। जब वह अब्नेर के पीछे दौड़ा, तब असाएल मार्ग की न दाहिनी ओर मुड़ा और न बाईं ओर। 20अब्नेर ने पीछे मुड़कर देखा। उसने पूछा, ‘असाएल, क्या तुम हो?’ असाएल ने उत्तर दिया, ‘हाँ, मैं हूँ।’ 21अब्नेर ने उससे कहा, ‘तुम अपने दाहिने अथवा बाएं हाथ पर मुड़कर किसी अन्य सैनिक को पकड़ लो, और उसके शस्त्र छीन लो।’ परन्तु असाएल ने उसका पीछा करना नहीं छोड़ा। 22अब्नेर ने असाएल से फिर कहा, ‘मेरा पीछा करना छोड़ दो। मैं तुम पर वार कर तुम्हें धराशायी करना नहीं चाहता। मैं तुम्हारे भाई योआब को अपना मुँह कैसे दिखा सकूँगा?’ 23परन्तु असाएल ने वापस लौटना स्वीकार नहीं किया। अत: अब्नेर ने उसके पेट में भाले का कुन्दा मारा। भाला उसके पार हो गया। वह वहीं भूमि पर गिर पड़ा, और तत्काल मर गया। जिस स्थान पर असाएल गिरकर मरा, वहाँ पहुँचकर लोग खड़े रह गए।
24तब योआब और अबीशय ने अब्नेर का पीछा किया। वे सूर्यास्त के समय अम्माह की पहाड़ी पर पहुँचे। यह घाटी की पूर्व दिशा में कीअह के मार्ग पर है।#2:24 मूल में अस्पष्ट 25बिन्यामिन कुल के लोग अब्नेर के नेतृत्व में एकत्र हो गए। उन्होंने एक दल बना लिया। वे अम्माह पहाड़ी के शिखर पर खड़े हो गए। 26अब्नेर ने योआब को पुकारा, और उससे यह कहा, ‘क्या तलवार सदा चलती रहेगी? क्या तुम नहीं जानते हो कि इसका अन्त बुरा होगा? तुम कब तक अपने सैनिकों को आज्ञा नहीं दोगे कि वे अपने जाति-भाइयों का पीछा करना छोड़ दें और लौट जाएँ?’ 27योआब ने कहा, ‘जीवन्त परमेश्वर की सौगन्ध! यदि तुमने यह न कहा होता, तो निस्सन्देह मेरे ये सैनिक अपने जाति-भाइयों का पीछा सबेरे तक करते।’ 28अत: योआब ने नरसिंघा फूंका और सब सैनिक रुक गए। उन्होंने इस्राएलियों का पीछा नहीं किया और न उनसे फिर युद्ध ही किया।
29अब्नेर और उसके सैनिक रात भर अराबाह मैदान में चलते रहे। उन्होंने यर्दन नदी पार की। वे दोपहर तक चलते रहे तत्पश्चात् उन्होंने महनइम नगर में प्रवेश किया।
30योआब ने अब्नेर का पीछा करना छोड़ दिया। उसने अपने सब लोगों को एकत्र किया। जब उसने उनकी हाजिरी ली, तब पता चला कि असाएल के अतिरिक्त दाऊद के सैनिकों में से उन्नीस सैनिक लापता हैं। 31किन्तु दाऊद के सैनिकों ने अब्नेर के तीन सौ साठ बिन्यामिनी सैनिक मार डाले थे। 32उन्होंने असाएल का शव उठाया, और उसको उसके पिता की कबर में, जो बेतलेहम नगर में थी, गाड़ दिया। योआब और उसके सैनिक रात भर चलते रहे। जब वे हेब्रोन नगर में पहुँचे तब सूर्योदय हुआ।
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