2 शमूएल 12:19-25

2 शमूएल 12:19-25 HINCLBSI

परन्‍तु जब दाऊद ने यह देखा कि उसके दरबारी आपस में धीरे-धीरे बातें कर रहे हैं, तब उसने समझ लिया कि बालक की मृत्‍यु हो गई। उसने अपने दरबारियों से पूछा, ‘क्‍या बालक मर गया?’ उन्‍होंने कहा, ‘हाँ, महाराज, वह मर गया।’ दाऊद भूमि पर से उठा। उसने स्‍नान किया। तेल लगाया। अपने वस्‍त्र बदले। तत्‍पश्‍चात् वह प्रभु के शिविर में गया। वहाँ उसने झुककर प्रभु की आराधना की। उसके बाद वह अपने महल को लौटा। उसने भोजन मांगा। सेवकों ने उसके सम्‍मुख भोजन परोस दिया। उसके दरबारियों ने उससे पूछा, ‘महाराज, यह आपने क्‍या किया? जब तक बालक जीवित रहा, आपने उपवास किया। आप उसके लिए रोए। परन्‍तु जब बालक मर गया, आप भूमि पर से उठे। आपने भोजन किया।’ दाऊद ने कहा, ‘जब तक बालक जीवित रहा, मैंने उपवास किया। मैं रोया। मैं यह सोचता था, “कौन जाने प्रभु मुझ पर कृपा करे, और बालक बच जाए।” अब वह मर गया। तब मैं क्‍यों उपवास करूँ? क्‍या मैं उसे वापस ला सकता हूँ? अब मैं उसके पास जाऊंगा; परन्‍तु वह मेरे पास नहीं लौटेगा।’ दाऊद ने अपनी पत्‍नी बतशेबा को सान्‍त्‍वना दी। तब दाऊद उसके पास गया। उसने उसके साथ सहवास किया। फलत: बतशेबा ने एक पुत्र को जन्‍म दिया। दाऊद ने उसका नाम सुलेमान रखा। प्रभु ने बालक से प्रेम किया और उसने अपना यह प्रेमभाव नबी नातान के द्वारा प्रकट किया। नातान ने प्रभु के वचन के अनुसार उसका नाम यदीद्याह रखा।