2 शमूएल 12:13-23

2 शमूएल 12:13-23 HINCLBSI

दाऊद ने नातान से कहा, ‘मैंने प्रभु के विरुद्ध पाप किया।’ नातान ने दाऊद को उत्तर दिया, ‘प्रभु ने भी आपके पाप को क्षमा किया। अब आप पाप के कारण नहीं मरेंगे। किन्‍तु आपने इस कार्य के द्वारा प्रभु का घोर अपमान किया है। इसलिए जो पुत्र आपको उत्‍पन्न हुआ है, वह अवश्‍य ही मर जाएगा।’ नातान अपने घर चला गया। प्रभु ने उस बालक पर, जो ऊरियाह की पत्‍नी ने दाऊद से जन्‍म दिया था, प्रहार किया, और वह बीमार हो गया। दाऊद ने बालक के लिए परमेश्‍वर से अनुनय-विनय की। उसने उपवास किया। वह महल में आया। वह रात भर भूमि पर पड़ा रहा। उसके परिवार के बड़े-बूढ़े उसे भूमि पर से उठाने के लिए आए। पर वह नहीं उठा। उसने उनके साथ भोजन नहीं किया। सातवें दिन बालक की मृत्‍यु हो गई। दरबारी दाऊद को यह बताने से डरे कि बालक की मृत्‍यु हो गई। वे यह सोचते थे, ‘जब बालक जीवित था और हमने महाराज से कहा था, तब उन्‍होंने हमारी बात नहीं सुनी। अब हम उनसे यह बात कैसे कह सकते हैं कि बालक मर गया? यह बात सुनकर वह अपना अनिष्‍ट कर लेंगे।’ परन्‍तु जब दाऊद ने यह देखा कि उसके दरबारी आपस में धीरे-धीरे बातें कर रहे हैं, तब उसने समझ लिया कि बालक की मृत्‍यु हो गई। उसने अपने दरबारियों से पूछा, ‘क्‍या बालक मर गया?’ उन्‍होंने कहा, ‘हाँ, महाराज, वह मर गया।’ दाऊद भूमि पर से उठा। उसने स्‍नान किया। तेल लगाया। अपने वस्‍त्र बदले। तत्‍पश्‍चात् वह प्रभु के शिविर में गया। वहाँ उसने झुककर प्रभु की आराधना की। उसके बाद वह अपने महल को लौटा। उसने भोजन मांगा। सेवकों ने उसके सम्‍मुख भोजन परोस दिया। उसके दरबारियों ने उससे पूछा, ‘महाराज, यह आपने क्‍या किया? जब तक बालक जीवित रहा, आपने उपवास किया। आप उसके लिए रोए। परन्‍तु जब बालक मर गया, आप भूमि पर से उठे। आपने भोजन किया।’ दाऊद ने कहा, ‘जब तक बालक जीवित रहा, मैंने उपवास किया। मैं रोया। मैं यह सोचता था, “कौन जाने प्रभु मुझ पर कृपा करे, और बालक बच जाए।” अब वह मर गया। तब मैं क्‍यों उपवास करूँ? क्‍या मैं उसे वापस ला सकता हूँ? अब मैं उसके पास जाऊंगा; परन्‍तु वह मेरे पास नहीं लौटेगा।’