2 राजा 6:8-17

2 राजा 6:8-17 HINCLBSI

एक बार सीरिया देश का राजा इस्राएल प्रदेश के राजा से युद्ध कर रहा था। उसने अपने दरबारियों से विचार-विमर्श किया। उसने कहा, ‘हम अमुक-अमुक स्‍थान पर धावा करेंगे।’ परन्‍तु परमेश्‍वर के जन एलीशा ने इस्राएल के राजा को सावधान कर दिया। उन्‍होंने यह सन्‍देश भेजा, ‘सावधान! आप इस स्‍थान से मत गुजरना। यहां सीरियाई सैनिक घात में बैठे हैं।’ अत: इस्राएल के राजा ने उस स्‍थान में सैनिक भेज दिए, जिसके विषय में परमेश्‍वर के जन एलीशा ने उसको बताया था। यों एलीशा राजा को सावधान करते थे। राजा ने अनेक बार वहां युद्ध में अपने प्राण बचाए। इस बात से सीरिया देश के राजा का हृदय बहुत बेचैन हो गया। उसने अपने दरबारियों को बुलाया। उसने दरबारियों से कहा, ‘क्‍या तुम मुझे उस आदमी का नाम नहीं बताओगे, जिसने इस्राएल प्रदेश के राजा के लिए मेरे साथ विश्‍वासघात किया है?’ एक दरबारी ने कहा, ‘महाराज, हमारे स्‍वामी, हममें से किसी ने भी विश्‍वासघात नहीं किया। परन्‍तु इस्राएल प्रदेश में एलीशा नामक एक नबी है। वह इस्राएल प्रदेश के राजा को वे तमाम बातें भी बता देता है, जो आप अपने शयनागार में कहते हैं!’ राजा ने आदेश दिया, ‘जाओ, और देखो कि वह इस समय कहां है। मैं सैनिक भेजकर उसको पकड़ूंगा।’ तब उसको बताया गया कि नबी एलीशा दोतान नगर में हैं। अत: सीरियाई राजा ने वहां घोड़ों और रथों के अतिरिक्‍त एक विशाल सेना भी भेजी। वे रात के समय आए, और उन्‍होंने दोतान नगर को घेर लिया। परमेश्‍वर के जन एलीशा प्रात:काल सोकर उठे। वह बाहर निकले। उन्‍होंने देखा कि घोड़ों, और रथों के साथ सेना ने नगर को चारों ओर से घेर लिया है। एलीशा के सेवक ने उनसे कहा, ‘हाय! गुरुजी, अब हम क्‍या करें?’ एलीशा ने कहा, ‘तू मत डर! जो हमारे साथ हैं, वे उनसे अधिक हैं जो शत्रु-सेना के साथ हैं।’ तब एलीशा ने यह प्रार्थना की, ‘हे प्रभु, इस युवक की आंखों को खोल दे, और यह देखने लगे।’ अत: प्रभु ने एलीशा के सेवक की आंखें खोल दीं और उसने देखा कि एलीशा के चारों ओर अग्‍निमय अश्‍व और रथ हैं जिनसे पहाड़ भर गया है।