एक दिन नबियों के दल ने एलीशा से कहा, ‘यह स्थान, जहां हम आपकी छत्र-छाया में निवास कर रहे हैं, हमारे लिए पर्याप्त नहीं है। अत: आइए, हम यर्दन नदी के तट पर चलें। वहां हममें से प्रत्येक व्यक्ति एक-एक बल्ली काटेगा, और वहां हम अपनी झोपड़ियां बनाएंगे।’ एलीशा ने कहा, ‘जाओ।’ परन्तु एक नबी ने निवेदन किया, ‘कृपया, आप अपने शिष्यों के साथ, हमारे साथ, चलिए।’ एलीशा बोले, ‘मैं तुम्हारे साथ चलूंगा।’ वह नबियों के साथ गए। वे यर्दन नदी के तट पर आए। उन्होंने पेड़ काटना आरम्भ किया। जब एक नबी बल्ली को काटकर गिरा रहा था, तब अचानक उसकी कुल्हाड़ी की फाल बेंट से निकलकर यर्दन नदी के पानी में गिर गई। वह चिल्लाया, ‘ओह! गुरुजी, यह कुल्हाड़ी उधार की थी।’ परमेश्वर के जन एलीशा ने पूछा, ‘किस स्थान पर कुल्हाड़ी गिरी है?’ नबी ने एलीशा को स्थान दिखाया। एलीशा ने लकड़ी का एक टुकड़ा काटा, और उसको उस स्थान पर फेंक दिया, और यों फाल के लोहे को पानी पर तैरा दिया। तब एलीशा ने कहा, ‘उसको उठा लो।’ नबी ने अपना हाथ बढ़ाया, और उसको उठा लिया।
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