एलीशा गिलगाल नगर को लौट गए। उस समय देश में अकाल था। एक दिन नबियों का दल एलीशा के सम्मुख बैठा था। एलीशा ने अपने सेवक से कहा, ‘चूल्हे पर हण्डा चढ़ा, और नबियों के लिए भोजन तैयार कर।’ अत: एक सेवक साग-भाजी तोड़ने के लिए खेत में गया। वहां उसे एक बनैली लता मिली। उसने उससे गोद भर इंद्रायन तोड़ लिए। वह नहीं जानता था कि ये फल क्या हैं। वह लौटा। उसने उनको काटा, और हण्डे में डाल दिया। सेवकों ने नबियों के खाने के लिए भोजन परोसा। जब नबियों ने साग खाया तब वे चिल्ला पड़े, ‘ओ परमेश्वर के जन! हण्डे में मौत है!’ वे भोजन न खा सके। एलीशा ने कहा, ‘आटा लाओ।’ एलीशा ने हण्डे में आटा फेंका और यह कहा, ‘अब लोगों को भोजन परोसो, और उनको खाने दो।’ अब हण्डे में कोई हानिकारक वस्तु नहीं रह गई थी।
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