2 इतिहास 5:6-14

2 इतिहास 5:6-14 HINCLBSI

तब राजा सुलेमान और उसके सम्‍मुख एकत्र हुए आराधकों ने असंख्‍य भेड़ें और बछड़े बलि किए। उनकी संख्‍या इतनी अधिक थी कि उनको गिना न जा सका। पुरोहितों ने प्रभु की विधान-मंजूषा उसके उचित स्‍थान पर रख दी। उन्‍होंने भीतरी कक्ष में, पवित्र अन्‍तर्गृह के करूबों के पंखों के नीचे मंजूषा को रख दिया। मंजूषा के स्‍थान के ऊपर करूबों के पंख फैले हुए थे, और ऐसा प्रतीत होता था कि करूबों ने मंजूषा और उसके डण्‍डों पर छाया कर रखी है। डण्‍डे इतने लम्‍बे थे कि उनके सिर अन्‍तर्गृह के सम्‍मुख पवित्र स्‍थान से दिखाई देते थे। किन्‍तु वे बाहर से नहीं दिखाई देते थे। वे आज तक वहीं हैं। मंजूषा में पत्‍थर की दो पट्टियों के अतिरिक्‍त और कुछ नहीं था। मूसा ने होरेब पर्वत पर उनको मंजूषा में रखा था। जब इस्राएली लोग मिस्र देश की गुलामी से मुक्‍त हो मिस्र देश से बाहर निकले थे, तब प्रभु ने होरेब पर्वत पर उनके साथ विधान स्‍थापित किया था। जो पुरोहित भवन में उपस्‍थित थे, उन्‍होंने बिना श्रेणियों का विचार किए, स्‍वयं को शुद्ध किया था। लेवीय कुल के गायक, आसाफ, हेमान, यदूतून, उनके पुत्र और नाते-रिश्‍तेदार सूती-मलमल की पोशाक पहिने हुए और हाथों में वाद्य-यन्‍त्र−झांझ, सारंगियां और वीणा−लिए हुए वेदी के पूर्व में खड़े थे। उनके साथ तुरही बजाने वाले एक सौ बीस पुरोहित भी थे। जब आराधक प्रभु की स्‍तुति और धन्‍यवाद में गीत गाते थे, तब उनके स्‍वर में स्‍वर मिलाकर ये गायक भी गाते और तुरही बजाने वाले पुरोहित तुरही बजाते थे। इस प्रकार गीत और संगीत में ताल-मेल बैठाना गायकों और इन पुरोहितों का काम था। अत: जब पुरोहित पवित्र स्‍थान से बाहर निकले, और जब तुरही और झांझ तथा अन्‍य वाद्य-यन्‍त्रों पर प्रभु की स्‍तुति में यह गीत गूंजा : ‘क्‍योंकि प्रभु भला है, और उसकी करुणा सदा की है,’ तब भवन, प्रभु का भवन एक मेघ से भर गया। मेघ के कारण पुरोहित सेवा-कार्य न कर सके; वे वहां खड़े नहीं रह सके; क्‍योंकि प्रभु का तेज परमेश्‍वर के भवन में भर गया था।