जब राजा योशियाह भवन की मरम्मत तथा आराधना की तैयारी कर चुका, तब मिस्र देश के राजा नको ने फरात नदी के पास कर्कमीश नगर पर चढ़ाई कर दी। योशियाह राजा नको का सामना करने के लिए गया। राजा नको ने राजा योशियाह के पास अपना दूत भेजा, और उससे कहा, ‘ओ यहूदा प्रदेश के महाराज, हमें एक-दूसरे से क्या लेना-देना? मैं आज आप पर आक्रमण करने नहीं आ रहा हूं। मैं तो उस कुल के साथ युद्ध करने आया हूं जिस के साथ मेरी शत्रुता है। परमेश्वर ने मुझे शीघ्रता करने का आदेश दिया है। परमेश्वर मेरे साथ है। आप परमेश्वर का विरोध मत कीजिए; अन्यथा वह आपको नष्ट कर देगा।’ फिर भी राजा योशियाह उससे विमुख नहीं हुआ। उसने युद्ध करने के लिए भेष बदला। परमेश्वर ने नको के द्वारा उसे चेतावनी दी थी; किन्तु उसने नको की बात नहीं मानी। वह मगिद्दो के मैदान में उससे युद्ध करने को गया। धनुर्धारियों ने राजा योशियाह की ओर तीर छोड़े और वह घायल हो गया। उसने अपने सेवकों से कहा, ‘मैं बुरी तरह घायल हो गया। मुझे यहां से ले चलो।’ अत: उसके सेवकों ने उसे रथ से उतारा, और दूसरे रथ पर चढ़ा कर ले गए। वे उसको यरूशलेम नगर में लाए। वहां उसका देहान्त हो गया। वह अपने पूर्वजों के कब्रिस्तान में गाड़ा गया। समस्त यहूदा प्रदेश तथा यरूशलेम के निवासियों ने उसके लिए शोक मनाया। नबी यिर्मयाह ने भी राजा योशियाह की स्मृति में एक शोक गीत रचा था। आज भी लोक गायक और गायिकाएं अपने शोकगीतों में योशियाह का उल्लेख करते हैं। योशियाह के सम्बन्ध में शोकगीत गाना वास्तव में एक प्रथा बन गया है। ये शोकगीत “विलाप गीत” की पुस्तक में लिखे हुए हैं। योशियाह के शेष कार्यों का विवरण, और प्रभु की व्यवस्था के अनुसार किए गए उसके सत्कार्यों का विवरण, आरम्भ से अन्त तक उसके सब कार्यों का विवरण, ‘इस्राएल तथा यहूदा प्रदेशों के राजाओं का इतिहास-ग्रंथ’ में लिखा हुआ है।
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