तब इस विपत्ति के कारण राजा हिजकियाह तथा नबी यशायाह बेन-आमोत्स ने परमेश्वर की दुहाई दी। प्रभु ने उनकी प्रार्थना सुनी, और अपने दूत को भेजा। दूत ने असीरिया के राजा के शिविर में उसके शक्तिशाली योद्धाओं, सेनापतियों और उच्चाधिकारियों का वध कर दिया। अत: वह पराजय की लज्जा में डूबा हुआ अपने देश को लौट गया। एक दिन जब वह अपने इष्ट देवता के मन्दिर में पूजा कर रहा था, तब उसके पुत्रों ने ही तलवार से उसकी हत्या कर दी। इस प्रकार प्रभु ने हिजकियाह और यरूशलेम के निवासियों को असीरिया के राजा सनहेरिब के पंजे से तथा इस्राएलियों के सब शत्रुओं के हाथ से बचाया, और उनको चारों ओर शान्ति प्रदान की। अनेक देशों के राजा यरूशलेम में प्रभु के सम्मुख भेंट लाए और यहूदा प्रदेश के राजा हिजकियाह के लिए बहुमूल्य उपहार। उस समय से हिजकियाह सब राष्ट्रों की दृष्टि में महान माना जाने लगा।
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