2 इतिहास 31:4-10

2 इतिहास 31:4-10 HINCLBSI

उसने यरूशलेम के निवासियों को आदेश दिया कि वे पुरोहितों और उप-पुरोहितों को उनका निर्धारित अंश दिया करें, ताकि उनका पूर्ण ध्‍यान प्रभु की व्‍यवस्‍था पर लगा रहे। जैसे ही राजाज्ञा यरूशलेम के नागरिकों को मालूम हुई, वैसे ही सब इस्राएली प्रचुर मात्रा में अन्न, अंगूर, तेल, शहद तथा खेत की सब प्रकार की फसल की प्रथम उपज पुरोहितों और उप-पुरोहितों को देने लगे। वे सब वस्‍तुओं का दशमांश प्रचुर मात्रा में लाए। इस्राएल प्रदेश तथा यहूदा प्रदेश के लोग, जो यहूदा प्रदेश के नगरों के ही निवासी थे, गाय-बैल तथा भेड़-बकरियों का दशमांश लाए। वे उन वस्‍तुओं का भी दशमांश लाए, जिनको उन्‍होंने अपने प्रभु परमेश्‍वर के लिए अर्पित किया था। उन्‍होंने पुरोहितों और उप-पुरोहितों के सामने ढेर लगा दिया। उन्‍होंने ढेर लगाने का कार्य वर्ष के तीसरे महीने में आरम्‍भ किया था, और समाप्‍त किया सातवें महीने में! जब राजा हिजकियाह और उच्‍चाधिकारी आए, और उन्‍होंने ढेरों को देखा, तब उन्‍होंने प्रभु और उसके निज लोग इस्राएलियों को धन्‍यवाद दिया। राजा हिजकियाह ने उन ढेरों के विषय में पुरोहितों और उप-पुरोहितों से पूछा। सादोक-वंशीय महापुरोहित अजर्याह ने उसको बताया, ‘महाराज, जबसे लोग प्रभु के भवन में भेंट लाने लगे हैं, तबसे हमें पर्याप्‍त भोजन प्राप्‍त होने लगा है। सच तो यह है कि वे इतनी अधिक भेंट चढ़ाते हैं, कि भरपेट खाने के बाद भी अत्‍यधिक बच जाता है। प्रभु ने अपने निज लोग इस्राएलियों पर आशिष की वर्षा की है। उसके कारण ही हमारे पास यह ढेर बच गया है।’