तब उसने लोगों से विचार-विमर्श किया, और कुछ गायकों को नियुक्त किया कि वे पवित्र वस्त्र पहिन कर प्रभु का स्तुति-गान करें, और जब सेना प्रस्थान करे तब वे उसके आगे-आगे यह गाएं : “प्रभु की स्तुति करो, क्योंकि उसकी करुणा सदा की है।” जब उन्होंने अपने प्रभु परमेश्वर का इस प्रकार स्तुति-गान किया, तब प्रभु ने यहूदा प्रदेश पर आक्रमण करने वाले अम्मोनी, मोआबी और सेईर के पहाड़ी देश के सैनिकों पर घात लगाकर प्रहार करने वालों को बैठा दिया। अत: वे बुरी तरह पराजित हो गए। उनमें फूट पड़ गई। अम्मोन और मोआब की सेनाओं ने सेईर के पहाड़ी देश के निवासियों पर हमला कर दिया, और उनको पूर्णत: नष्ट कर दिया। जब वे सेईर के निवासियों का पूर्ण संहार कर चुके, तब वे सब आपस में ही लड़ने-झगड़ने लगे, और एक-दूसरे का अन्त कर दिया। यहूदा प्रदेश की सेना निर्जन प्रदेश की चौकी पर पहुंची। वहां से उन्होंने रेतकणों के सदृश शत्रु-सेना के असंख्य सैनिकों की भीड़ को देखा। आश्चर्य! उन्होंने देखा कि भूमि पर लाशों का ढेर लगा है। शत्रु-सेना का एक भी सैनिक जीवित नहीं बचा था। यहोशाफट अपने सैनिकों के साथ उनको लूटने के लिए उनके शिविरों के पास आया। उन्हें बड़ी संख्या में पशु, बहुमूल्य सामान, वस्त्र और कीमती वस्तुएं मिलीं। उन्हें लूट का इतना माल मिला कि वे उसको ढोने में असमर्थ हो गए। शत्रु-सेना का लूट का माल इतना अधिक था कि वे तीन दिन तक उसको लूटते रहे। चौथे दिन वे एक घाटी में एकत्र हुए और वहां उन्होंने विजय-प्राप्ति के लिए प्रभु को धन्यवाद दिया, और स्तुति-बलि चढ़ाई। तब से उस घाटी का नाम ‘बराका’ अर्थात् ‘धन्यवाद’ पड़ गया, और घाटी का यही नाम आज तक है।
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