2 इतिहास 1:7-12

2 इतिहास 1:7-12 HINCLBSI

परमेश्‍वर ने वहां रात के समय सुलेमान को दर्शन दिया। परमेश्‍वर ने उससे कहा, ‘बोल, मैं तुझे क्‍या दूं?’ सुलेमान ने परमेश्‍वर को उत्तर दिया, ‘तूने मेरे पिता दाऊद पर बड़ी करुणा की, और उसके बाद मुझे उसके स्‍थान पर राजा नियुक्‍त किया। हे प्रभु परमेश्‍वर, तूने मेरे पिता दाऊद को वचन दिया था। आज तेरा वह वचन पूरा हो; क्‍योंकि जिन लोगों पर तूने मुझे राजा बनाया है, वे संख्‍या में पृथ्‍वी के धूलकणों के सदृश असंख्‍य हैं! प्रभु, तेरी इस महाप्रजा पर कौन शासन कर सकता है? अत: प्रभु, मुझे तेरे निज लोगों का नेतृत्‍व करने के लिए बुद्धि और समझ प्रदान कर।’ परमेश्‍वर ने सुलेमान को उत्तर दिया, ‘तेरे हृदय में यह सुन्‍दर विचार था। इसलिए तूने मुझसे धन-सम्‍पत्ति, वैभव, मान-सम्‍मान नहीं मांगा। तूने अपने शत्रुओं के प्राण नहीं मांगे। तूने अपने लिए दीर्घायु नहीं मांगी, वरन् तूने मेरे निज लोगों पर राज्‍य करने के लिए बुद्धि और समझ मांगी, जिन पर मैंने तुझको राजा नियुक्‍त किया है। अत: देख, मैं तुझको बुद्धि और समझ प्रदान करता हूँ। इनके अतिरिक्‍त मैं तुझको धन-सम्‍पत्ति, वैभव और मान-सम्‍मान भी प्रदान करता हूँ। तुझसे पहले और तेरे बाद धन-वैभव और मान-सम्‍मान में तेरे समान समृद्ध और वैभवशाली कोई राजा नहीं होगा।’