शमूएल की मृत्यु हो चुकी थी। सब इस्राएलियों ने उसके लिए शोक मनाया था। उन्होंने उसको उसके ही नगर रामाह में गाड़ा था। शाऊल ने भूत-प्रेत बुलानेवालों और मृतक जगानेवालों को देश से निकाल दिया था। पलिश्ती सैनिक एकत्र हुए। वे आए। उन्होंने शूनम नगर में पड़ाव डाला। शाऊल ने सब इस्राएली सैनिकों को एकत्र किया। उन्होंने गिल्बोअ में पड़ाव डाला। जब शाऊल ने पलिश्ती सेना के पड़ाव को देखा, तब वह डर गया। उसका हृदय बहुत धड़कने लगा। उसने प्रभु से पुछा। पर प्रभु ने उसे उत्तर नहीं दिया, न स्वप्न में, न ऊरीम के माध्यम से और न नबी के द्वारा। शाऊल ने अपने कर्मचारियों को आदेश दिया, ‘मेरे लिए मृतक जगानेवाली स्त्री को ढूंढ़ो। मैं उसके पास पुछने के लिए जाऊंगा।’ उसके कर्मचारियों ने उसे बताया, ‘महाराज, एनदोर नगर में मृतकों को जगानेवाली एक स्त्री रहती है।’ अत: शाऊल ने भेष बदला। उसने राजसी वस्त्र उतारकर दूसरे वस्त्र पहिने और वह दो सेवकों के साथ एनदोर नगर को गया। शाऊल उस स्त्री के पास रात में आया। उसने कहा, ‘मृतक के माध्यम से मुझे भविष्य की बातें बताओ। जिस मृतक का नाम मैं तुम्हें बताऊंगा, उसे बुलाओ।’ स्त्री ने उससे कहा, ‘जैसा व्यवहार शाऊल ने भूत-प्रेत बुलानेवालों और मृतक जगानेवालों के साथ किया है, उसको तुम जानते ही हो। उसने उन्हें देश से निकाल दिया है। तब तुम मेरे प्राण के लिए क्यों जाल बिछा रहे हो? मेरे वध के लिए?’ शाऊल ने प्रभु के नाम से शपथ खाई, ‘जीवन्त प्रभु की सौगन्ध! तुम्हारे इस कार्य के लिए तुम्हें दण्ड नहीं मिलेगा।’
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