1 शमूएल 18:1-16

1 शमूएल 18:1-16 HINCLBSI

जब दाऊद ने शाऊल से वार्तालाप समाप्‍त किया, तब योनातन के प्राण दाऊद के प्राण से जुड़ गए! योनातन उसे अपने प्राण के समान प्रेम करने लगा। उस दिन के पश्‍चात् शाऊल ने दाऊद को अपने पास ही रखा। उसने दाऊद को उसके पिता के घर लौटने नहीं दिया। तब योनातन ने दाऊद से एक सन्‍धि की कि वह उससे अपने प्राण के समान प्रेम करेगा। जो लबादा योनातन पहिने हुए था, उसने असको उतार दिया, और दाऊद को दे दिया। इसके अतिरिक्‍त उसने अपना बख्‍तर, अपनी तलवार, अपना धनुष और कमरबन्‍द भी दे दिया। जहाँ-जहाँ शाऊल ने दाऊद को भेजा, वहां-वहां दाऊद सफल हुआ। अत: शाऊल ने उसे अनुभवी सैनिकों के ऊपर नियुक्‍त कर दिया। लोगों की तथा शाऊल के कर्मचारियों की कृपा-दृष्‍टि दाऊद पर थी। वे घर आ रहे थे। दाऊद पलिश्‍ती योद्धा का वध करने के पश्‍चात् लौट रहा था। तब स्‍त्रियां राजा शाऊल का स्‍वागत करने के लिए इस्राएली राज्‍य के सब नगरों से बाहर निकलीं। वे मंगलगीत गा रही थीं। संगीत के वाद्य-यन्‍त्रों के साथ, खंजरी बजाती हुई नाच रही थी। वे नृत्‍य करती हुई गा-गा कर एक-दूसरे से यह कह रही थीं : ‘शाऊल ने मारा हजारों को, पर दाऊद ने मारा लाखों को!’ यह गीत सुनकर शाऊल बहुत क्रुद्ध हुआ। यह बात उसकी दृष्‍टि में बुरी लगी। उसने कहा, ‘ये स्‍त्रियां दाऊद को लाख शत्रु मारने का श्रेय दे रही हैं; और मुझे केवल हजार शत्रुओं का। अब दाऊद क्‍या पाने का प्रयत्‍न करेगा? केवल मेरा राज्‍य!’ उस दिन के बाद शाऊल दाऊद को ईष्‍र्या की दृष्‍टि से देखने लगा। दूसरे दिन परमेश्‍वर की ओर से एक बुरी आत्‍मा शाऊल पर वेगपूर्वक उतरी। वह घर के भीतर प्रलाप करने लगा। दाऊद प्रति दिन के समान सितार बजा रहा था। शाऊल के हाथ में भाला था। उसने हृदय में कहा, ‘मैं दाऊद को दीवार में बेध दूंगा।’ अत: उसने भाला फेंका। परन्‍तु दाऊद उससे दो बार बच निकला। शाऊल दाऊद से डरने लगा। प्रभु दाऊद के साथ था। प्रभु शाऊल को छोड़कर चला गया था। अत: शाऊल ने दाऊद को अपने पास से दूर हटा दिया। उसने दाऊद को एक हजार सैनिकों के ऊपर सेनापति नियुक्‍त कर दिया। वह सेना के आगे-आगे आने-जाने लगा। दाऊद अपने सब कामों में सफल हुआ, क्‍योंकि प्रभु उसके साथ था। जब शाऊल ने देखा कि दाऊद बहुत सफल हुआ तब वह भय से आतंकित हो गया। परन्‍तु इस्राएल प्रदेश और यहूदा प्रदेश की सब जनता दाऊद से प्रेम करती थी, क्‍योंकि वह युद्ध में उनके आगे-आगे जाता और उनका मार्ग-दर्शन करता था।