परन्तु प्रभु ने शमूएल से कहा, ‘तू उसके बाहरी रूप-रंग और ऊंचे कद पर ध्यान मत दे। मैंने उसे अस्वीकार किया है। जिस दृष्टि से मनुष्य देखता है, उस दृष्टि से मैं नहीं देखता। मनुष्य व्यक्ति के बाहरी रूप-रंग को देखता है, पर मैं उसके हृदय को देखता हूँ।’ तत्पश्चात् यिशय ने अबीनादब को बुलाया। उसने उसे शमूएल के सामने भेजा। शमूएल ने कहा, ‘प्रभु ने इसे भी नहीं चुना है।’ यिशय ने शम्माह को भेजा। शमूएल ने कहा, ‘प्रभु ने इसे भी नहीं चुना है।’ इस प्रकार यिशय ने अपने सात पुत्रों को शमूएल के सामने भेजा। परन्तु शमूएल ने यिशय से कहा, ‘प्रभु ने इन्हें नहीं चुना है।’ तब शमूएल ने यिशय से पूछा, ‘क्या तुम्हारे सब पुत्र यहाँ है?’ यिशय ने उत्तर दिया, ‘सबसे छोटा पुत्र अभी शेष है। पर, देखिए, वह भेड़-बकरियों की देख-भाल कर रहा है।’ शमूएल ने यिशय से कहा, ‘किसी को भेजकर उसको बुलाओ। जब तक वह नहीं आएगा तब तक हम भोजन के लिए नहीं बैठेंगे’ अत: यिशय ने किसी को भेजा और उस पुत्र को भीतर बुलाया। उससे किशोरावस्था की ललाई झलकती थी। उसकी आँखें आकर्षक थीं। वह देखने में सुन्दर था। प्रभु ने शमूएल से कहा, ‘उठ! इसे अभिषिक्त कर। यह वही है।’
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