1 शमूएल 16:1-7

1 शमूएल 16:1-7 HINCLBSI

प्रभु ने शमूएल से कहा, ‘जब मैंने शाऊल को इस्राएलियों के राजा के रूप में अस्‍वीकार कर दिया है, तब तू कब तक शाऊल के लिए शोक करता रहेगा? कुप्‍पी में तेल भर और चल। मैं तुझे बेतलेहम नगर के रहने वाले यिशय के पास भेजूँगा। मैंने उसके पुत्रों में से एक को अपने लिए राजा निश्‍चित किया है।’ शमूएल ने उत्तर दिया, ‘मैं कैसे जा सकता हूँ? यदि शाऊल यह सुनेगा तो वह मुझे मार डालेगा।’ परन्‍तु प्रभु ने कहा, ‘तू अपने साथ एक लाल कलोर लेना और यह कहना : “मैं प्रभु को इसकी बलि चढ़ाने के लिए आया हूँ।” तू बलि के लिए यिशय को निमन्‍त्रण देना। तब जो कार्य तुझे करना होगा, वह मैं तुझे बताऊंगा। जिस व्यक्‍ति का नाम मैं तुझे बताऊंगा तू उसको मेरे लिए अभिषिक्‍त करना।’ शमूएल ने प्रभु के आदेश के अनुसार कार्य किया। वह बेतलेहम नगर में आया। नगर के धर्मवृद्ध डर से काँपने लगे। वे शमूएल से भेंट करने आए। उन्‍होंने पूछा, ‘हे द्रष्‍टा! क्‍या आप मित्रभाव से आए हैं?’ शमूएल ने उत्तर दिया, ‘हाँ, मित्रभाव से। मैं प्रभु के लिए बलि चढ़ाने आया हूँ। तुम अपने आप को शुद्ध करो, और बलि चढ़ाने के लिए मेरे साथ चलो।’ यों शमूएल ने यिशय और उसके पुत्रों को शुद्ध किया और उन्‍हें बलि-भोज के लिए निमन्‍त्रित किया। वे आए। शमूएल ने यिशय के पुत्र एलीअब को देखा। शमूएल ने हृदय में कहा, ‘निस्‍सन्‍देह! प्रभु के सम्‍मुख उसका अभिषिक्‍त राजा खड़ा है।’ परन्‍तु प्रभु ने शमूएल से कहा, ‘तू उसके बाहरी रूप-रंग और ऊंचे कद पर ध्‍यान मत दे। मैंने उसे अस्‍वीकार किया है। जिस दृष्‍टि से मनुष्‍य देखता है, उस दृष्‍टि से मैं नहीं देखता। मनुष्‍य व्यक्‍ति के बाहरी रूप-रंग को देखता है, पर मैं उसके हृदय को देखता हूँ।’