शमूएल ने शाऊल से कहा, ‘प्रभु ने मुझे भेजा था कि मैं तुम्हें प्रभु के निज लोग इस्राएलियों का राजा अभिषिक्त करूँ। अब तुम प्रभु के ये वचन सुनो। स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है : जब इस्राएली मिस्र देश से निकले थे, तब अमालेकी जाति ने मार्ग में इस्राएलियों का विरोध किया था। उसके इस व्यवहार के लिए मैं उसको दण्ड दूँगा। अब, जा और अमालेकी जाति को नष्ट कर दे। उसकी समस्त माल-सम्पत्ति निषिद्ध समझकर पूर्णत: नष्ट कर देना। स्त्री-पुरुष, बाल-वृद्ध, दूध पीने वाले बच्चे, गाय-बैल, भेड़-बकरी, ऊंट-गधे, इन सब का वध कर देना। इनमें से किसी को जीवित मत रहने देना।’
शाऊल ने अपने सैनिकों को बुलाया। उसने टलाईम स्थान में उनकी हाजिरी ली। उनमें दो लाख पैदल सैनिक, और यहूदा प्रदेश के दस हजार सैनिक थे। शाऊल अमालेकियों के एक नगर में आया। वह नहर के तट पर घात लगाकर बैठ गया। शाऊल ने केनी जाति के लोगों से कहा, ‘जाओ, अमालेकियों के मध्य से निकल जाओ। यहाँ से चले जाओ। ऐसा न हो कि मैं अमालेकियों के साथ तुम्हारा भी अन्त कर दूँ। जब इस्राएली मिस्र देश से बाहर निकले थे तब तुमने उनके साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार किया था।’ अत: केनी अमालेकियों के मध्य से निकलकर चले गए। शाऊल ने अबीलाह से शूर तक, जो मिस्र देश की पूर्वीय सीमा पर है, अमालेकियों को पराजित किया। उसने अमालेकी राजा अगग को जीवित पकड़ लिया, और शेष सब अमालेकियों को तलवार से पूर्णत: नष्ट कर दिया। शाऊल के सैनिकों ने अगग को, तथा उसकी अच्छी-अच्छी भेड़-बकरियों, गाय-बैलों, मोटे-मोटे पशुओं और मेमनों को तथा जो कुछ भी अच्छी वस्तु थी, उसको बचा लिया। उन्होंने उनको पूर्णत: नष्ट नहीं किया। परन्तु जो बेकार और अनुपयोगी वस्तुएँ और प्राणी थे, उनको उन्होंने पूर्णत: नष्ट कर दिया।
शमूएल ने प्रभु का यह वचन सुना : ‘मुझे दु:ख है कि मैंने शाऊल को राजा बनाया; क्योंकि उसने मेरा अनुसरण करने से मुँह मोड़ लिया है। उसने मेरे वचनों के अनुसार कार्य नहीं किया है।’ शमूएल क्रुद्ध हुआ। वह रात भर प्रभु की दुहाई देता रहा। वह सबेरे शाऊल से भेंट करने के लिए उठा। परन्तु शमूएल को यह बताया गया : ‘शाऊल कर्मेल नगर को गए थे। उन्होंने वहाँ एक विजय-स्तम्भ स्थापित किया है। वह वहाँ से मुड़कर आगे बढ़ गए और अब गिलगाल की ओर चले गए हैं।’ शमूएल शाऊल के पास आया। शाऊल ने उससे कहा, ‘प्रभु आपको आशिष दे! मैंने प्रभु के वचन के अनुसार कार्य किया है।’ शमूएल ने पूछा, ‘तब मेरे कानों को भेड़-बकरियों का मिमियाना क्यों सुनाई दे रहा है? जो गाय-बैलों का रंभाना मैं सुन रहा हूँ, उसका क्या अर्थ है?’ शाऊल ने उत्तर दिया, ‘मेरे सैनिक उनको अमालेकियों के पास से लाए हैं। उन्होंने तुम्हारे प्रभु परमेश्वर को बलि चढ़ाने के लिए अच्छी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों को बचा लिया। हमने शेष पशुओं को पूर्णत: नष्ट कर दिया।’ शमूएल ने शाऊल से कहा, ‘रुक जाओ। जो बात प्रभु ने कल रात मुझसे कही है, वह मैं तुम्हें बताऊंगा।’ शाऊल ने उससे कहा, ‘बताइए।’
शमूएल ने कहा, ‘यद्यपि तुम स्वयं अपनी दृष्टि में छोटे हो, तथापि क्या तुम इस्राएली कुलों के नेता नहीं हो? प्रभु ने तुम्हें इस्राएली लोगों पर राजा अभिषिक्त किया। प्रभु ने तुम्हें एक विशेष कार्य करने के लिए भेजा था। उसने कहा था, “जा, और पापी अमालेकियों को पूर्णत: नष्ट कर दे! उनसे युद्ध करता रह, जब तक वे समाप्त नहीं हो जाते!” तब क्यों तूने प्रभु की आज्ञा नहीं मानी? क्यों तू लूट पर झपट्टा मार कर टूट पड़ा? जो कार्य प्रभु की दृष्टि में बुरा है, वह तूने क्यों किया?’ शाऊल ने शमूएल को उत्तर दिया, ‘मैंने प्रभु की आज्ञा मानी है। जिस विशेष कार्य को करने के लिए प्रभु ने मुझे भेजा था, उसको करने के लिए मैं गया था। मैं अमालेकी राजा अगग को पकड़कर ले आया हूँ। मैंने अमालेकी जाति को पूर्णत: नष्ट कर दिया है। किन्तु सैनिकों ने तुम्हारे प्रभु परमेश्वर को गिलगाल में बलि
चढ़ाने के उद्देश्य से लूट में से भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल और वे सर्वोत्तम वस्तुएँ ले लीं, जिनको प्रभु के नाम पर अर्पित कर पूर्णत: नष्ट करना था।’ किन्तु शमूएल ने यह कहा :
‘जैसे प्रभु अपनी आज्ञा का पालन किये जाने
पर प्रसन्न होता है,
क्या वैसे वह अग्नि-बलि और पशुओं की
बलि से प्रसन्न होता है?
देख, प्रभु की आज्ञा मानना
पशु की बलि चढ़ाने से श्रेष्ठ है!
उसकी बात पर ध्यान देना
मेढ़े की चर्बी चढ़ाने से उत्तम है।
विद्रोह करना
सगुन विचारने के तुल्य पाप करना है।
हठधर्मी होना
मूर्ति-पूजा के सदृश कुकर्म करना है।
तूने प्रभु के वचन को सुनने से इन्कार किया,
अत: प्रभु भी तुझे राजा मानने से इन्कार
करता है।’